नयी दिल्ली: भूमि अधिग्रहण अध्यादेश पांच अप्रैल को निष्प्रभावी हो जाएगा और सरकार इन संकेतों के बीच इसे फिर से जारी करने की दिशा में काम करती दिखाई दे रही है कि इस उद्देश्य से संसद के कम से कम एक सदन का सत्रावसान किया जा सकता है.
संसद के बजट सत्र में फिलहाल एक महीने का मध्यावकाश चल रहा है. अगर संसद सत्र चालू हो तो कोई अध्यादेश जारी करने के लिए कम से कम एक सदन का सत्रावसान करना होगा. पुन: जारी अध्यादेश में सरकार द्वारा विधेयक को पारित करने के दौरान लाये गये नौ सरकारी संशोधन शामिल होंगे. सूत्रों ने कहा कि जिन वरिष्ठ मंत्रियों को विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से सलाह मशविरे की जिम्मेदारी दी गयी है उन्होंने प्रमुख नेताओं से संपर्क साधा है और सरकार 20 अप्रैल से शुरु होने वाले बजट सत्र के दूसरे चरण में अध्यादेश की जगह लेने के लिए राज्यसभा में भूमि अधिग्रहण विधेयक को लाने के पूरे प्रयास करेगी.
सरकार के एक पदाधिकारी ने कहा, हम पांच अप्रैल के तत्काल बाद इसे फिर से जारी कर सकते हैं ताकि यह निष्प्रभावी नहीं हो. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कल उन संशोधनों को पूर्वव्यापी प्रभाव से मंजूरी दी थी जिन पर लोकसभा में सरकार ने सहमति जताई थी.
सरकारी गलियारों में चर्चा है कि वह सहमति के प्रावधान में कुछ सुधार स्वीकार कर सकती है जिसे अध्यादेश में नहीं रखा गया है. सरकार जमीन अधिग्रहण के लिए किसानों की सहमति के प्रावधान को फिर से ला सकती है. हो सकता है कि 80 प्रतिशत सहमति के पूर्व प्रावधान को 51 प्रतिशत पर स्वीकार कर लिया जाए.