नयी दिल्लीः मेरठ दंगे के सभी आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया है. आज दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए सभी 16 आरोपियों को बरी कर दिया. मेरठ के हाशिमपुरा में एक दंगे के दौरान एक ही समुदाय के 40 लोग मारे गये थे. इस घटना के लिए 19 लोगों को आरोपी बनाया गया था. इन 19 आरोपियों में 3 की मौत हो चुकी है. बाकी बचे 16 आरोपियों को आज सबूतों के अभाव का हवाला देते हुए बरी कर दिया गया.
क्या थी पूरी वारदात ?
28 साल पहले 22 मई 1987 को यूपी का मेरठ सांप्रदायिक दंगों की चपेट में था और यूपीपीएसी के जवान चप्पे-चप्पे पर मुस्तैद थे. यूपीपीएसी के जवानों पर आरोप लगा कि उन्होंने हाशिमुपरा मोहल्ला से एक संप्रदाय के कुछ लोगों को हिरासत में लिया है और बाद में इनकी हत्या कर दी गयी.
आरोपी जवान पीएसी की 41वीं बटालियन के थे. यह बटालियन गाजियाबाद की है. मामला शुरू हुआ तो 19 जवानों को आरोपी बनाया गया जिनमें से तीन की मृत्यु हो गई थी.
सीआईडी की क्राइम ब्रांच ने 1988 में जांच शुरू की थी जो अगले छह साल तक चली. 1996 में गाजियाबाद के न्यायिक मजिस्ट्रेट के पास 19 जवानों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई.
2002 में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर यह केस दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया. उसके बाद से लगातार सुनवाई चल रही थी. इसी साल 21 जनवरी को विशेष अदालत ने सभी पक्षों की सुनवाई पूरी करके फैसला सुरक्षित कर लिया था.
21 फरवरी को कोर्ट ने 21 मार्च का दिन फैसले के लिए मुकर्रर किया था. शनिवार को दोपहर बाद बचे सभी 16 आरोपी पीएसी के जवानों को दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने बरी करने का आदेश सुना दिया.