नयी दिल्ली: पारदर्शिता को लेकर छिड़ी बहस के बीच कांग्रेस नेता दिग्विज सिंह ने आज मांग की कि केंद्र द्वारा अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों के लिए बनायी जाने वाली हितों के टकराव संबंधी नीति के दायरे में मंत्रियों को भी शामिल किया जाये.सिंह ने ट्विटर पर टिप्पणी की, ‘‘जीओआई (भारत सरकार) द्वारा अखिल भारतीय […]
नयी दिल्ली: पारदर्शिता को लेकर छिड़ी बहस के बीच कांग्रेस नेता दिग्विज सिंह ने आज मांग की कि केंद्र द्वारा अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों के लिए बनायी जाने वाली हितों के टकराव संबंधी नीति के दायरे में मंत्रियों को भी शामिल किया जाये.सिंह ने ट्विटर पर टिप्पणी की, ‘‘जीओआई (भारत सरकार) द्वारा अखिल भारतीय सेवा अधिकारियों के लिए हितों के टकराव पर एक विस्तृत नीति तैयार किया जाना एक स्वागतयोग्य कदम हैं और इसमें मंत्रियों को भी शामिल किया जाना चाहिए.’’ बताया जाता है कि कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग पहली बार जन सेवाओं में हितों के टकराव पर नीति का ब्यौरा तैयार कर रही है.
सिंह द्वारा मंत्रियों के लिए ऐसी नीति की वकालत ऐसे समय में आयी है जबकि इस तरह की मांग तेज हो गयी है कि यह सुनिश्चित करने के लिए उपाय किये जाने चाहिए कि मंत्री अपने अधिकार क्षेत्र के निर्णय करते समय अनुचित लाभ नहीं ले सकें.मंत्रियों के एक समूह ने जून में सरकार से कहा था कि वह मंत्रियों के लिए नीति संहिता तथा जन सेवकों के लिए आचार संहिता के ब्यौरे पर विचार किया जाये. इससे पूर्व प्रशासनिक सुधार आयोग ने सिफारिश की थी कि प्रशासनिक सेवाओं की राजनीतिक तटस्थता की रक्षा की जानी चाहिए.
प्रस्तावित नीति में हितों के टकराव से जुड़े मुद्दों पर व्यापक रुप से ध्यान में रखना होगा. इन मुद्दों में नौकरशाहों द्वारा सेवानिवृत्ति के बाद उन निगमित प्रतिष्ठानों में नौकरी करना शामिल है जिनसे जुड़े मुद्दों को वे अपने सेवाकाल के दौरान देखते थे. यह नीति इस बात को सुनिश्चित करेगी कि आधिकारिक दायित्व के तहत किये गये उनके निर्णय उनके निजी या वैयक्तिक हितों से नहीं जुड़े हों.