नयी दिल्ली : केंद्रीय जांच ब्यूरो के निदेशक रंजीत सिन्हा ने आज उच्चतम न्यायालय में स्वीकार किया कि कानून मंत्री अश्विनी कुमार, अटार्नी जनरल गुलाम वाहनवती और प्रधानमंत्री कार्यालय तथा कोयला मंत्रालय के सुझावों पर कोयला खदान आबंटन घोटाले की जांच की प्रगति से संबंधित रिपोर्ट के मसौदे में बदलाव किये गये थे.
जांच ब्यूरो के मुखिया रंजीत सिन्हा ने नौ पेज के हलफनामे में कानून मंत्री, अटार्नी जनरल गुलाम वाहनवती, तत्कालीन अतिरिक्त सालिसीटर जनरल हरेन रावल और प्रधानमंत्री कार्यालय तथा कोयला मंत्रालय के अधिकारियों के बीच हुई बैठक का विस्तृत विवरण दिया है.
सिन्हा के हलफनामे ने कानून मंत्री और अटार्नी जनरल के रुख का खंडन कर दिया. इन दोनों ने इस आरोप से इंकार किया था कि रिपोर्ट के मसौदे में बदलाव के लिये उन्होंने सुझाव दिये थे.
हलफनामे के अनुसार कानून मंत्री, और वाहनवती के सुझाव पर रिपोर्ट के मसौदे में किये गये बदलावों से न तो किसी तरह से जांच में बदलाव किया गया और न ही जांच के केंद्र में कोई बदलाव किया गया.
सिन्हा ने यह भी कहा है, प्रगति रिपोर्ट से न तो किसी संदिग्ध या आरोपी का नाम हटाया गया और न किसी संदिग्ध या आरोपी को इस प्रक्रिया में छोड़ा गया. हलफनामे के अनुसार, इनमें से अधिकांश बदलाव मेरे अधिकारियों ने इस रिपोर्ट को बेहतर बनाने के इरादे से खुद ही या अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल (राव) और उनकी मदद कर रहे वकीलों या कानून मंत्री की सलाह से किये थे.
इसके अलावा, कुछ बदलाव अटार्नी जनरल और प्रधानमंत्री कार्यालय तथा कोयला मंत्रालय के अधिकारियों के सुझावों पर भी किये गये. निदेशक ने कहा कि इस समय प्रत्येक बदलाव के बारे में निश्चित रुप से यह बताना मुश्किल है कि वह किस व्यक्ति विशेष के कहने पर किए गए.
जांच ब्यूरो के निदेशक ने हलफनामे में कानून मंत्री, अटार्नी जनरल और प्रधानमंत्री कार्यालय तथा कोयला मंत्रालय के अधिकारियों के सुझाव पर फाइनल प्रगति रिपोर्ट में भी कुछ बदलाव की जानकारी दी है.हलफनामे के अनुसार, प्रधानमंत्री कार्यालय और कोयला मंत्रालय के अधिकारियों के कहने पर विशिष्ट महत्व या अंक आबंटन के सबंध में कोई व्यवस्था नहीं होने के बारे में अनुमानित निष्कर्ष को हटा दिया गया था. हलफनामे में कहा गया है, मेरी याददाश्त के मुताबिक कानून मंत्री ने निगरानी समिति द्वारा कोई खाका या चार्ट तैयार नहीं करने के बारे में भी निष्कर्ष को हटा दिया था. हलफनामे के अनुसार, कानून मंत्री, प्रधानमंत्री कार्यालय और कोयला मंत्रालय के अधिकारियों द्वारा किये गये इन बदलावों को केंद्रीय जांच ब्यूरो ने स्वीकार कर लिया था क्योंकि ये अनुमानित निष्कर्षो के बारे में थे.इसमें यह भी कहा गया, कानून में संशोधन की प्रक्रिया के दौरान आवंटन में अवैधता से संबंधित जांच के दायरे के बारे में एक वाक्य कानून मंत्री ने इससे हटाया था. जांच एजेंसी के हलफनामे में प्रधानमंत्री कार्यालय और कोयला मंत्रालय के उन अधिकारियों के नाम भी हैं जिन्होंने रिपोर्ट के मसौदे का अवलोकन किया था और जिनके सुझावों पर इसमें बदलाव किया गया था. सिन्हा के अनुसार प्रधानमंत्री कार्यालय में संयुक्त सचिव शत्रुघ्न सिंह और कोयला मंत्रालय के संयुक्त सचिव ए के भल्ला कोयला घोटाले की जांच के संबंध में उनके अधिकारियों के साथ नियमित रुप से संवाद कर रहे थे.हलफनामे में कहा गया है, इन व्यक्तियों से प्रगति रिपोर्ट साझा करने और इसके आधार पर इसमें बदलाव से न तो रिपोर्ट के मूल विषय से छेड़छाड़ की गयी और न ही किसी भी तरह से जांच या तफतीश के केंद्र को हटाया गया है.