नयी दिल्ली: राज्यसभा में आज विभिन्न दलों ने जम्मू कश्मीर के किश्तवाड़ में हुई हिंसा पर चिंता जतायी तथा मामले की उच्च स्तरीय और विश्वसनीय जांच की मांग की जबकि विपक्ष ने कहा कि देश की संप्रभुता एवं अखंडता खतरे में है और इसे अंतर समुदाय संघर्ष मानकर खारिज नहीं किया जाना चाहिए.
विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि किश्तवाड़ में जो कुछ हुआ वह दो समुदायों के टकराव का मुद्दा नहीं बल्कि देश की संप्रभुता एवं अखंडता से जुड़ा मामला है. उन्होंने कहा कि किश्तवाड में वैसे ही हालात पैदा किये जा रहे हैं जैसे 23 साल पहले पैदा किये गये थे जिसमें एक समुदाय के लोगों को घाटी छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था.
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ माह में घाटी सहित कश्मीर की स्थिति में काफी सुधार हुआ था. लेकिन पिछले कुछ दिनों में दो महत्वपूर्ण घटनाक्रम हुए. पहला, सीमा पार से नियंत्रण रेखा पर दबाव बढ़ाया गया और घुसपैठ की घटनाओं में वृद्धि हुई. दूसरा, जम्मू के पर्वतीय क्षेत्र में चिंताजनक घटनाएं हुई.
जेटली ने कहा कि किश्तवाड़ में मिश्रित समुदाय रहते हैं और उनके बीच आपसी भाईचारा का इतिहास रहा है. लेकिन ईद के दिन किश्तवाड़ में लोग प्रदर्शन के रुप में जुट गये और चुनिंदा लोगों को निशाना बनाया गया. इन घटनाओं के बारे में प्रधानमंत्री को भी सूचित किया गया.
उन्होंने किश्तवाड़ की घटनाओं को रोकने के लिए राज्य सरकार पर समय रहते उचित कदम नहीं उठाने का आरोप लगाते हुए कहा कि इन घटनाओं के समय पुलिस मूक दर्शक बनी रही. उन्होंने कहा कि इन घटनाओं में राज्य सरकार के एक पदाधिकारी की कथित भूमिका की भी जांच होनी चाहिए.
जेटली ने आरोप लगाया कि केंद्र के तमाम आश्वासनों के बावजूद सेना को देर शाम तक नहीं भेजा गया. इस दौरान कई दुकानें जला दी गयी, घरों में लूटपाट की गयी, लोगों को घायल किया गया. लेकिन सरकारी अस्पतालों में उनका उपचार नहीं किया गया. घायलों को फौजी अस्पताल ले जाना पड़ा. उन्होंने कहा कि इन घटनाओं के कारण आसपास के क्षेत्रों में भी तनाव फैल गया है.
उन्होंने राज्य सरकार द्वारा आसपास के क्षेत्र में मीडिया सहित किसी को भी प्रवेश की इजाजत नहीं देने के निर्णय का विरोध करते हुए कहा कि क्या हम इस तरह की शतुरमुर्ग वाली नीति अपना कर सूचनाओं को छिपा सकते हैं. कल उन्हें किश्तवाड़ जाने की इजाजत नहीं दिये जाने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘मेरे साथ जो हुआ, वह गौण बात है लेकिन क्या सभी के साथ यह होना चाहिए.’’
उन्होंने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और उनके परिवार पर कटाक्ष करते हुए कहा, ‘‘जम्मू कश्मीर किसी परिवार की संपत्ति नहीं है.’’ जेटली ने कहा कि क्या भाजपा शासित राज्यों में कभी ऐसा हुआ है. उन्होंने कहा कि इस मामले में मीडिया भी दोहरे मापदंड अपना रहा है.