नयी दिल्ली: कालेधन पर अंकुश लगाने के लिए प्रस्तावित कानून के बनने के बाद भारत की गिनती भी सिंगापुर, ब्रिटेन और अमेरिका जैसे प्रमुख देशों में होने लगेगी. इस कानून में विदेश में धन छिपाने और कर चोरी करने वालों को 10 साल तक के कारावास की सजा का प्रावधान किया जा सकता है.
वास्तव में, प्रस्तावित कानून में जेल की सजा और मौद्रिक जुर्माने की राशि अन्य देशों के मुकाबले कहीं अधिक हो सकती है. नए कानून में इस तरह की आय एवं संपत्ति छिपाने के लिए कर के 300 प्रतिशत की दर से जुर्माना लगाया जा सकता है. वहीं दूसरी ओर, दोषियों को निपटान आयोग के पास जाने की अनुमति भी नहीं होगी.
रिटर्न नहीं दाखिल करने या विदेशी संपत्तियों के अपर्याप्त ब्यौरे के साथ रिटर्न दाखिल करने पर मुकदमा चलाया जाएगा जिसमें सात साल तक के कठोर कारावास का दंड दिया जा सकता है.
अमेरिकी कानून के तहत कर से जुडे प्रत्येक अपराध के सिद्ध होने पर अधिकतम एक साल तक की जेल और कर रिटर्न दाखिल करने में विफल रहने, गलत रियायातें लेने, गलत कर दस्तावेज दाखिल करने पर एक लाख डालर तक जुर्माना है.
वहीं झूठे रिफंड दावे के संबंध में धोखाधडी के लिए षढयंत्र रचने के मामले में दस साल तक की कैद एवं एक लाख डालर जुर्माने का प्रावधान है.इसी तरह, ब्रिटेन के कर प्रशासन ने विदेश में संपत्ति एवं आय छिपाने वाले लोगों के लिए हाल ही में जुर्माना सख्त किया है जिसमें विदेश में कर चोरी पर की स्थिति में बकाये कर पर 200 प्रतिशत तक जुर्माना लगाने का प्रावधान है.
सिंगापुर के कानून में इस तरह के अपराध पर आरोप के दायरे में आये धन पर चार गुणा जुर्माना लगाया जाता है. इसके अलावा 50,000 सिंगापुर डालर तक का जुर्माना भी लगाया जाता है. पांच साल की जेल भी हो सकती है या फिर दोनों ही सजा मिल सकती हैं.