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अफगान सीमा पार के आतंकी तंत्र मुख्य खतरा: भारत

नयी दिल्ली: अफगानिस्तान के जलालाबाद शहर में भारतीय दूतावास पर एक बार फिर से हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत ने कहा कि अफगानिस्तान के सीमापार से संचालित होने वाली आतंकवादी मशीनरी वहां की सुरक्षा के लिए मुख्य खतरा है. वहीं, अफगानिस्तान ने भरोसा दिलाया कि वहां भारतीय राजनयिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए […]

नयी दिल्ली: अफगानिस्तान के जलालाबाद शहर में भारतीय दूतावास पर एक बार फिर से हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत ने कहा कि अफगानिस्तान के सीमापार से संचालित होने वाली आतंकवादी मशीनरी वहां की सुरक्षा के लिए मुख्य खतरा है. वहीं, अफगानिस्तान ने भरोसा दिलाया कि वहां भारतीय राजनयिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ा जाएगा.

पाकिस्तान की सीमा से लगे जलालाबाद शहर में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर निशाना साधकर किये गये घातक हमले में कम से कम 12 लोगों की मौत हो गयी. इससे पहले खबरें थीं कि आईएसआई के समर्थन वाला हक्कानी नेटवर्क और अन्य संगठन अफगानिस्तान में भारतीय ठिकानों पर फिर से हमले की साजिश रच रहे हैं.

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने अपने अफगान समकक्ष जालमेय रसूल से बात की और जलालाबाद में भारतीय वाणिज्य दूतावास की सुरक्षा सुनिश्चित करने में अफगान नेशनल पुलिस की कोशिशों को लेकर उनका शुक्रिया अदा किया. उन्होंने बताया कि रसूल ने खुर्शीद से कहा, भारतीय राजनयिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ा जाएगा और अफगान सरकार भारत की अफगानिस्तान के साथ दोस्ती के प्रति विद्वेष रखने वालों की सभी कोशिशों का मुकाबला करेगी.

इससे पहले विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरद्दीन ने कहा, इस हमले ने एक बार फिर उजागर किया है कि अफगानिस्तान की सुरक्षा और स्थिरता को आतंकवाद तथा आतंकवादी मशीनरी से खतरा है जो उसकी सीमा पार से संचालित होती हैं.उन्होंने कहा कि इस हमले की कड़े से कड़े शब्दों में निंदा की जानी चाहिए जिसमें बेगुनाह बच्चों समेत अफगान नागरिक मारे गये और अफगान पुलिस के जवान समेत कई लोग घायल हो गये.

हालांकि प्रवक्ता ने इस बात पर जोर दिया कि भारत इस हमले से डिगेगा नहीं और अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण तथा विकास के प्रयासों में उसकी मदद करता रहेगा. सैयद अकबरद्दीन ने कहा, स्पष्ट रुप से यह न केवल भारत के खिलाफ हमला है बल्कि कई दशकों के संघर्ष की त्रसदी को ङोल रही अफगान जनता को इससे उबारने में मदद करने के प्रयासों पर भी हमला है. वाणिज्य दूतावास पर यह दूसरा हमला है. इससे पहले 2007 में भी इसी तरह का हमला हुआ था. काबुल में भारतीय दूतावास पर भी 2008 में जानलेवा हमला हुआ था और 2009 में इस पर भी दोबारा निशाना साधा गया था.

पहले किये गये हमलों के पीछे पाकिस्तान से गतिविधियां चलाने वाले हक्कानी नेटवर्क की भूमिका का ही पता चला था.

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