मुंबई: लाहौर जेल में सरबजीत सिंह के साथ रह चुके उनके एक पूर्व साथी कैदी का दावा है कि सरबजीत का जो हश्र हुआ , वह उनकी नियती नहीं थी बल्कि पाकिस्तान सरकार ने भारतीय कैदी की जान ली.
अहमदनगर निवासी और पिछले साल ही लाहौर जेल से रिहा हुए भानुदास कराले ने बताया, ‘‘ सरबजीत को घर की याद बहुत आती थी. उनकी भारत लौटने की दिली तमन्ना थी. ’’ कराले को पिछले साल 15 जून को लाहौर की कोट लखपत जेल से रिहा किया गया था.
कराले को 28 अगस्त 2010 को पाकिस्तान क्षेत्र में दुर्घटनावश प्रवेश कर जाने के मामले में गिरफ्तार किया गया था. उन्होंने अहमदनगर से सरबजीत सिंह के बारे में बताया, ‘‘ वह बेहद दयालु इंसान थे. वह न केवल भारतीय कैदियों के साथ बल्कि पाकिस्तानी कैदियों के साथ भी बड़े अच्छे ढंग से पेश आते थे. लेकिन पाकिस्तानी कैदी हमारे लिए परेशानियां पैदा करते रहते थे.’’ कराले ने कहा कि वह जेल में सरबजीत सिंह पर हमले की खबर को सुनकर सकते में आ गए.
उन्होंने बताया, ‘‘ मैं सरबजीत सिंह के साथ उसी जेल में था लेकिन पाकिस्तानी प्रशासन ने उन्हें जासूस मानते हुए उन पर कई प्रकार की बंदिशें लगा रखी थीं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘ यह नियती नहीं थी बल्कि पाकिस्तान सरकार ने उनकी जान ली।’’ कराले ने कहा, ‘‘ जब हमें छोड़ा गया तो सरबजीत बेहद खुश थे. वह भी घर लौटना चाहते थे. दरअसल , उन्हें हमसे पहले छोड़ा जाना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हो सका और वह भारतीय तथा पाकिस्तानी प्रशासन के बीच संवाद और समन्वय के अभाव के कारण जान से हाथ धो बैठे.’’