नयी दिल्ली : पृथक तेलंगाना की मांग को स्वीकार करती प्रतीत हो रही कांग्रेस ने कल मुद्दे पर होने जा रही संप्रग समन्वय समिति की चर्चा के बाद अपनी पार्टी की कार्य समिति की बैठक बुलायी है.
कांग्रेस के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि समन्वय समिति की बैठक शाम चार बजे होगी और इसके बाद शाम साढ़े पांच बजे कांग्रेस कार्य समिति की बैठक होगी.
उच्चस्तरीय बैठकें आंध्र प्रदेश पंचायत चुनावों के समापन की पूर्व संध्या पर बुलायी गयी हैं.बैठक ऐसे समय हो रही हैं जब राज्य के बंटवारे के खिलाफ पार्टी के भीतर से और इसके राज्य नेतृत्व की ओर से हो रहे विरोध के बावजूद कांग्रेस आलाकमान आंध्र प्रदेश को बांटने की दिशा में झुका नजर आ रहा है.
संप्रग की बैठक जहां सत्तारुढ़ गंठबंधन के घटक दलों की मंजूरी की मोहर हासिल करने का प्रयास है, वहीं मुद्दे पर सहयोगियों का रुख पता चल जाने के बाद कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में अंतिम फैसला होगा.
राकांपा प्रमुख और कृषि मंत्री शरद पवार पहले ही पृथक तेलंगाना के गठन का पुरजोर समर्थन कर चुके हैं, वहीं दूसरे गंठबंधन सहयोगी रालोद के नेता और नागरिक उड्डयन मंत्री अजित सिंह छोटे राज्यों के गठन के पक्षधर हैं और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों को मिलाकर हरित प्रदेश बनाये जाने की मांग करते रहे हैं.
भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने पृथक तेलंगाना के लिए कल अपनी पार्टी का समर्थन व्यक्त किया था.उन्होंने कहा था, हम तेलंगाना का समर्थन करते हैं. राज्य के गठन के प्रति भाजपा कटिबद्ध है. भाजपा नेता कहते रहे हैं कि यदि भाजपा आम चुनावों के बाद सत्ता में आई तो वह तेलंगाना राज्य का गठन करेगी.
आंध्र प्रदेश के वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने धीरे-धीरे यह स्वीकार करना शुरु कर दिया है कि केंद्र राज्य को बांटने की दिशा में आगे बढ़ रहा है. इनमें से कई ने पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को आगाह किया है कि इससे बहुत सी समस्याएं पैदा हो सकती हैं.
आंध्र प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले केएस राव, चिरंजीवी, एम एम पल्लम राजू और डी पुरंदेश्वरी सहित कांग्रेस सांसदोंऔर केंद्रीय मंत्रियों ने शनिवार को प्रधानमंत्री से मुलाकात कर आंध्र प्रदेश को बांटे जाने का विरोध किया था.
खबरें हैं कि अनंतपुर और कुर्नूल जिलों को प्रस्तावित राज्य में शामिल किए जाने के प्रस्ताव पर भी कांग्रेस सक्रियता से विचार कर रही है, लेकिन प्रस्ताव पर तेलंगाना क्षेत्र में रजामंदी नहीं है.
तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) ने हालांकि, कहा कि वह रायल तेलंगाना के विचार का विरोध कर चुकी है. इसने उल्लेख किया कि वह 10 जिलों तथा राजधानी के रुप में हैदराबाद के साथ तेलंगाना चाहती है.