नयी दिल्ली : भारत के बड़े भूभाग पर चीन का कब्जा होने और भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की घटनाएं जारी रहने के बीच सरकार ने ‘गोपनीयता’ और ‘सुरक्षा कारणों’ का हवाला देते हुए यह बताने से मना कर दिया है कि वह चीन से लगी सीमा पर किस तरह के आधारभूत संरचना का निर्माण और तैयारी कर रही है. सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत इस बारे में पूछे जाने पर रक्षा मंत्रालय ने कहा कि मांगी गई जानकारी ‘गोपनीय’ है और आरटीआई 2005 के नियम 8 (ए) के तहत नहीं प्रदान की जा सकती है.
वायुसेना मुख्यालय ने बताया, ‘‘मांगी गई जानकारी गोपनीय प्रकृति की है. इस बारे में सूचना सार्वजनिक होने से हमारे शत्रु इसका इस्तेमाल कर सकते हैं जो राष्ट्र के सुरक्षा एवं सामरिक हितों की दृष्टि से हानिकारक होगा. इस सूचना को आरटीआई 2005 के नियम 8 (1) (ए) के तहत जारी किये जाने से छूट प्राप्त है.’’सीमा सड़क विकास बोर्ड (बीआरडीबी) ने कहा कि सूचना का अधिकार कानून 2005 की धारा 24 (1) के तहत सीमा सड़क विकास बोर्ड को इस अधिनियम की दूसरी अनुसूचि में रखा गया है और भ्रष्टाचार एवं मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोपों के अलावा अन्य सूचनाओं को जारी करने से छूट प्राप्त है. ऐसी स्थिति में आरटीआई कानून की धारा 24 (1) के तहत यह जानकारी नहीं दी जा सकती है. सूचना के अधिकार के तहत सरकार से जानकारी मांगी गई थी कि चीन की ओर से भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की घटना जारी रहने के मद्देनजर सीमा पर किस तरह के आधारभूत संरचना का निर्माण किया जा रहा है.
आरटीआई के तहत रक्षा मंत्रालय से यह जानकारी भी मांगी गई थी कि चीन से लगी सीमा पर क्या सुरक्षा उपाए किये गए है, किन किन इलाकों में सड़कों एवं वायु सुविधाओं आदि का निर्माण किया जा रहा है. इससे पहले सूचना के अधिकार के तहत विदेश मंत्रालय ने बताया था कि 1962 के बाद से चीन ने भारत के 43,180 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर अवैध रुप से कब्जा किया है. सीमा विवादों से जुड़े विषयों के समाधान के लिए 1988 में दोनों देशों के बीच संयुक्त कार्य समूह (जेडब्ल्यूजी) का गठन किया गया था और इसके बाद पिछले 25 वर्ष के दौरान दोनों देशों के बीच कई स्तर पर बातचीत हुई है.चीन की ओर से बार बार वास्तविक नियंत्रण रेखा के उल्लंघन से इस दिशा में 25 वर्ष की पहल पर सवाल खड़ा होता है. इसी वर्ष 15 अप्रैल को लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी सेक्टर में चीनी घुसपैठ के कारण दोनों देशों के बीच कूटनीतिक गतिरोध की स्थिति उत्पन्न हो गई थी और 21 दिनों तक चला गतिरोध पांच मई को समझौते के बाद समाप्त हुआ.
छह मई 2013 को भारत और चीन की सरकार द्वारा फ्लैग बैठक के बाद पश्चिमी सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर 15 अप्रैल 2013 से पूर्व की स्थिति बनाये रखने पर सहमति व्यक्त करने के बावजूद चीन की सेना ने फिर से लद्दाख के चुमार सेक्टर में घुसपैठ कर भारतीय सेना के कुछ बंकरों को ध्वस्त कर दिया और सीमावर्ती पोस्ट पर लगे कैमरों के तार काट दिये. घुसपैठ 17 जून को हुआ था. जुलाई माह में चीनी सैनिकों के भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की अब तक तीन घटनाएं सामने आई है. खबरों के अनुसार, 16 जुलाई को चीनी सैनिक घोड़ों और खच्चरों पर सवार होकर भारतीय क्षेत्र में घुस आए थे.