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बटला हाउस मुठभेड़:इंडियन मुजाहिदीन का संदिग्ध शहजाद दोषी करार

नयी दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने वर्ष 2008 बटला हाउस मुठभेड़ मामले में इंडियन मुजाहिदीन के संदिग्ध सदस्य शहजाद अहमद को आज एक पुलिस निरीक्षक की हत्या और अन्य अधिकारियों पर हमले के लिए दोषी ठहराया. अदालत सोमवार को इस मामले में सजा सुनाएगी. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश राजेंद्र कुमार शास्त्री ने कहा कि […]

नयी दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने वर्ष 2008 बटला हाउस मुठभेड़ मामले में इंडियन मुजाहिदीन के संदिग्ध सदस्य शहजाद अहमद को आज एक पुलिस निरीक्षक की हत्या और अन्य अधिकारियों पर हमले के लिए दोषी ठहराया. अदालत सोमवार को इस मामले में सजा सुनाएगी.

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश राजेंद्र कुमार शास्त्री ने कहा कि उसे (शहजाद) पुलिस निरीक्षक एमसी शर्मा की हत्या और हेड कांस्टेबल बलवंत सिंह तथा राजबीर सिंह की हत्या के प्रयास के जुर्म में दोषी ठहराया जाता है. उन्होंने कहा, ‘‘उसे पुलिस अधिकारियों पर हमला करने और उनकी ड्यूटी में बाधा पहुंचाने के जुर्म में भी दोषी ठहराया जाता है.’’न्यायाधीश ने शहजाद को दोषी ठहराने के बाद कहा कि इस मामले में उसे सोमवार (29 जुलाई) को सजा सुनाई जाएगी.

अदालत ने शहजाद को हत्या, हत्या के प्रयास, लोक सेवकों पर हमला करने,बाधा पहुंचाने तथा पुलिसकर्मियों को गंभीर रुप से घायल करके उन्हें उनकी ड्यूटी से रोकने का दोषी पाया. हालांकि अदालत ने शहजाद को भारतीय दंड संहिता की धारा 174ए के तहत आरोप से बरी कर दिया. यह धारा अदालत द्वारा विशेष समय पर विशेष स्थान पर बुलाये जाने के बाद ऐसा करने में नाकाम रहने से जुड़ी है.मुठभेड़ का यह मामला 19 सितंबर 2008 को दिल्ली के जामिया नगर इलाके के बटला हाउस के फ्लैट संख्या एल 18 का है. इस मुठभेड़ से छह दिन पहले राजधानी में श्रृंखलाबद्ध विस्फोट हुए थे जिसमें 26 लोग मारे गये थे और 133 घायल हुए थे.

पुलिस को खुफिया खबर मिली थी कि इन विस्फोटों में शामिल कुछ संदिग्ध आतंकवादी बटला हाउस में छिपे हैं जिसके बाद पुलिस ने इस इमारत पर धावा बोला था. फ्लैट में मौजूद पांच लोगों में से आतिफ अमीन और मोहम्मद साजिद की मुठभेड़ में मौत हो गई थी. मुठभेड़ के दौरान दिल्ली पुलिस ने तेजतर्रार निरीक्षक मोहन चंद्र शर्मा को गोलियां लगीं जिससे बाद में उनकी मृत्यु हो गई थी. इस मुठभेड़ में हेड कांस्टेबल बलवंत भी घायल हुए थे.

इन दोनों के अलावा, आरिज खान उर्फ जुनैद को भगोड़ा घोषित किया गया था जबकि मोहम्मद सैफ को इस मामले में आरोपी नहीं बनाया गया क्योंकि अभियोजन पक्ष के अनुसार, उसने शांतिपूर्वक आत्मसमर्पण कर दिया था और पूरी घटना में कोई भूमिका नहीं निभाई थी. पुलिस दल ने मौके से दो .30 बोर की पिस्तौल, एक एके श्रृंखला की राइफल और 30 कारतूसों से भरी दो मैगजीन बरामद की थीं. शहजाद को उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ से एक जनवरी 2010 को गिरफ्तार किया गया था.

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