अहमदाबाद: जाकिया जाफरी के वकील ने गोधरा ट्रेन कांड के बाद गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा की गई बैठक में निलंबित आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट के मौजूद होने या न होने पर एसआईटी की रिपोर्ट में आज खामियां ढूंढी.
जकिया के वकील मिहिर देसाई ने 27 मई 2002 को मोदी के आवास पर हुई बैठक में मौजूद होने के भट्ट के बयान का हवाला देते हुए कहा, गवाह की विश्वसनीयता को अदालत में साबित किए जाने की जरुरत है. यह फैसला करना अदालत के उपर है कि गवाह सच बोल रहा है या झूठ. भट्ट ने आरोप लगाया कि मोदी ने अपनी बैठक में पुलिस अधिकारियों से कहा कि हिंदुओं को अपना क्रोध प्रकट करने दिया जाए. मोदी ने इस बात से इनकार किया है कि भट्ट उस बैठक में उपस्थित थे.
अधिवक्ता देसाई ने इस बात का जिक्र किया कि विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने अपनी रिपोर्ट में भट्ट के बारे में काफी बातें की है. क्या वह 2002 के गोधरा बाद के दंगों से जुड़े अपराधों की जांच कर रही थी या वह संजीव भट्ट की छानबीन कर रही थी. दंगों में मोदी और अन्य लोगों की कथित भूमिका के बारे में जकिया की शिकायत पर उच्चतम न्यायालय ने एसआईटी का गठन किया था.
जकिया ने अब मजिस्ट्रेट के समक्ष एक याचिका दायर कर एसआईटी की मामला बंद करने के अनुरोध (क्लोजर रिपोर्ट) को चुनौती दी है. इस रिपोर्ट में मोदी को क्लिन चिट दी गई है. जकिया के पति एवं कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी की दंगो के दौरान हत्या कर दी गई थी. जकिया की शिकायत में दंगों के लिए मोदी और अन्य पर साजिश रचने का आरोप लगाया गया था.
न्याय मित्र अधिवक्ता राजू रामचंद्रन की रिपोर्ट पर देसाई ने कहा कि यह स्वभाविक है कि भट्ट बैठक में शरीक हुआ था क्योंकि वह एकमात्र खुफिया अधिकारी था जो छुट्टी पर नहीं था या, जिसे बैठक के बारे में सूचना मिली थी.
हालांकि, नौकरशाह पीके मिश्र और अशोक कुमार तथा अहमदाबाद के तत्कालीन पुलिस आयुक्त पीसी पांडे ने एसआईटी को बताया था कि उन्हें याद नहीं है कि भट्ट बैठक में मौजूद थे या नहीं. देसाई ने कहा कि एक साल बाद तीनों लोगों ने फिर से एसआईटी को बयान देकर कहा कि भट्ट बैठक में शामिल नहीं थे.
उन्होंने आरोप लगाया कि नारायण, मिश्र, नित्यानंदन, पुलिस अधिकारी पांडे और जीसी रायगर, इन सभी ने एसआईटी से कहा था कि भट्ट बैठक में मौजूद नहीं थे, जबकि सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें लाभ प्रदान किए गए.उन्होंने कहा कि एसआईटी ने इनके पूर्व के बयानों को नजरअंदाज कर दिया और बाद के बयानों पर भरोसा किया.
देसाई ने यह भी कहा कि एसआईटी रिपोर्ट में भट्ट के आधिकारिक वाहन के लॉग बुक का हवाला दिया गया है जिसमें वाहन के रोजाना की गतिविधि का ब्योरा दर्ज होता है. अन्य खामियों का जिक्र करते हुए देसाई ने कहा कि वरिष्ठ अधिकारी स्वर्णकांत वर्मा, नित्यानंदन, अनिल मुकीम, अशोक नारायण, पीके मिश्र और पांडे ने एसआईटी को बताया कि एक अन्य अधिकारी प्रकाश शाह बैठक में शामिल नहीं हुए थे.
हालांकि, शाह ने एसआईटी को बताया कि भट्ट 27 फरवरी की बैठक में उपस्थित नहीं थे. उन्होंने बताया कि वहीं दूसरी ओर एसआईटी ने आईपीएस अधिकारी कुलदीप शर्मा और उनके भाई प्रदीप शर्मा (जामनगर के तत्कालीन नगर निगम आयुक्त) के बयानों का जिक्र नहीं किया.
बहरहाल, इस विषय पर अदालत में कल भी बहस जारी रहेगी.