नयी दिल्ली : सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कहा है कि राजनीतिक दल सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत आने के इच्छुक नहीं हैं और इस संबंध में आये केंद्रीय सूचना आयोग के आदेश को गलत ढंग से लिया गया. तिवारी की यह टिप्पणी उस वक्त आई है जब राजनीतिक दलों की ओर से जन सूचना अधिकारियों की नियुक्ति के संबंध में सूचना आयोग द्वारा तय समयसीमा आज खत्म हो गई.
उन्होंने संवादाताओं से कहा, ‘‘अगर आप आरटीआई कानून पढ़ते हैं, अगर आप इसकी परिकल्पना से संबंधित बहस को देखते हैं तो पाएंगे कि अगर इसका मकसद राजनीतिक दलों को इसके दायरे में लाना होता तो इसका जिक्र किया गया होता.’’ मंत्री ने कहा, ‘‘ जो चीज प्रत्यक्ष रुप से नहीं की जा सकती उसे परोक्ष रुप से करने की इजाजत कानून नहीं देता. इसीलिए हमने पूरे सम्मान के साथ कहा है कि सूचना आयोग के आदेश को गलत ढंग से लिया गया.’’
सूचना आयोग ने बीते तीन जून को आदेश दिया था कि छह राष्ट्रीय राजनीतिक दल कांग्रेस, भाजपा, राकांपा, माकपा, भाकपा और बसपा को परोक्ष रुप से केंद्र सरकार से धन मिलता है और वे आरटीआई के तहत लोक प्राधिकार हैं. चीनी सुरक्षा बलों की ओर से भारतीय सीमा में घुसपैठ के बारे में तिवारी ने कहा कि सनसनी फैलाने और ‘तापमान बढ़ाने’ का प्रयास करने में खतरा है और ऐसा कुछ करने की जरुरत नहीं है.
उन्होंने कहा कि अगर घुसपैठ हुई है तो रक्षा और विदेश मंत्रालय इससे सही ढंग से निपटेंगे. पश्चिम बंगाल चुनाव के दौरान हुई हिंसा के बारे में सवाल पूछे जाने पर तिवारी ने कहा कि लोकतंत्र में ऐसी घटनाओं के लिए कोई स्थान नहीं है.