नयी दिल्ली : गृह मंत्रालय के एक पूर्व अधिकारी ने यह आरोप लगाया है कि इशरत जहां मामले की जांच कर रही सीबीआई और एसआईटी की टीम के एक सदस्य ने यह आरोप लगाया था कि संसद एवं मुंबई पर 26/11 के पर हुए आतंकी हमले की साजिश तत्कालीन सरकारों ने रची थी. इस खुलासे ने नये विवाद को जन्म दे दिया है.
एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक इशरत जहां मुठभेड़ मामले की जांच में सरकार की तरफ से कोर्ट में हलफनामे पर दस्तखत करने वाले गृह मंत्रालय के पूर्व अवर सचिव आरवीएस मणि ने कहा है कि हाल तक सीबीआइ-एसआइटी टीम के सदस्य रहे सतीश वर्मा ने उन्हें बताया था कि दोनों आतंकी हमले की साजिश तत्कालीन सरकारों ने रची थी.
इसका मकसद था आतंकवाद के खिलाफ कानून को मजबूत करना. मणि ने सतीश के हवाले से कहा कि 13 दिसंबर 2001 को संसद पर हमले के बाद पोटा कानून लागू किया गया. फिर 26 नवंबर 2008 को मुंबई पर हुए आतंकी हमले के बाद गैरकानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम (यूएपीए) में संशोधन किया गया. मालूम हो कि दोनों हमलों के समय केंद्र में क्रमश: भाजपा और कांग्रेस की सरकारें थी.
इस विषय में सतीश वर्मा से बात करने पर उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. गुजरात कैडर के आइपीएस अधिकारी वर्मा ने कहा कि मुझे पता नहीं क्या शिकायत है, किसने की और कब की. न ही इसे जानने में मेरी कोई दिलचस्पी है.
इस तरह के मामलों में मैं मीडिया से बात नहीं कर सकता. आप सीबीआइ से पूछिए. इशरत जहां मामले में गठित एसआइटी सदस्य वर्मा का हाल ही में तबादला जूनागढ़ पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज प्रिंसिपल के रूप में किया गया है.