भोपाल:मध्य प्रदेश में ताकतवर मंत्री रहे राघवजी की अप्राकृतिक कृत्य वाली सीडी क्या आम हुई, अब उन नेताओं की नींद उड़ गई है जो "रंगीन मिजाजी" के लिए हमेशा चर्चाओं में रहते हैं. उन्हें इस बात का डर सताने लगा है कि उनके राज भी कहीं आम न हो जाएं. सत्ता का शराब और शबाब से करीब का नाता हमेशा रहा है,मध्य प्रदेश में राजनीति के गलियारे भी इससे अछूते नहीं रहे हैं. यह बात अलहदा है कि ज्यादातर नेताओं के मामले आम नहीं हुए हैं. अभी कुछ ही के चेहरे से नकाब उठा है तो उनके एक नहीं, कई किस्से सामने आने लगे.
प्रदेश में भाजपा के सत्ता में आए नौ वर्ष से अधिक बीत चुके हैं, इस दौरान कुल दो मुख्यमंत्री बदल चुके हैं और शिवराज सिंह चौहान तीसरे मुख्यमंत्री हैं, मगर राघवजी इकलौते ऎसे मंत्री थे जिनका कभी विभाग तक नहीं बदलता था. ऎसे धाकड़ नेता की जब पोल-पट्टी खुली तो सबने दांतों तले उंगली दबा ली. पूर्व वित्तमंत्री राघवजी पर नौकर के साथ अप्राकृतिक कृत्य का आरोप लगने के साथ पुष्टि के लिए जब भी सीडी आ गई तो पार्टी के भीतर बैठे लोग पलभर में उनके दुश्मनों में शुमार होने लगे. मंत्री की कुर्सी तो गई ही, साथ में उन्हें पार्टी से भी बाहर कर दिया गया है.
राघवजी इस बात से आहत हैं कि उन्होंने पार्टी को अपने 55 वर्ष दिए, मगर उन पर लगे आरोपों पर पार्टी ने उनका पक्ष सुने बिना इकतरफा फैसला कर डाला. उन्हें पार्टी ने दूध में से मक्खी की तरह निकाला है, इस बात का उन्हें बेहद अफसोस है. राघवजी की कुर्सी जाने के बाद भाजपा के संगठन महामंत्री अरविंद मेनन सुर्खियों में हैं. उन पर एक महिला ने आरोप लगाए हैं. यह बात अलग है कि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर महिला के आरोप को सिरे से खारिज कर रहे हैं.
वहीं राज्य सरकार के एक मंत्री अजय विश्नोई पर एक अधिकारी द्वारा लगाए गए आरोपों का जवाब कोई नहीं दे रहा है. भाजपा के विधायक धु्रव नारायण सिंह भी सामाजिक कार्यकर्ता दिवंगत शेहला मसूद सहित अन्य महिलाओं से अंतरंग संबंधों के कारण चर्चा में रहे हैं. राज्य की राजनीति में कई ऎसे लोग भी हैं जिनका नाता भाजपा व कांग्रेस से है, वे भी अपनी रंगीन मिजाजी के कारण गाहे-बगाहे चर्चाओं में रहते हैं. नेताओं के बंगलों से लेकर दफ्तरों व उनके भोपाल से बाहर के प्रवास के दौरान महिलाओं से नजदीकियां साफ दिखाई देती हैं. इन्हीं नजदीकियों के कारण कई नेता संबंधित क्षेत्र में चर्चा का विषय बन जाते हैं.
राघवजी प्रकरण के बाद सबसे ज्यादा यही लोग परेशान हैं. उन्हें इस बात का डर सता रहा है कि कहीं राघवजी की तरह उनकी भी कोई सीडी न बन चुकी हो. ऎसा इसलिए, क्योंकि बाजार में चर्चा इस बात की है कि कई नेताओं की सीडी बन चुकी है. विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह का कहना है कि सत्ता से दूर रहते भाजपा हमेशा चाल, चरित्र और चेहरे के साथ शुचिता की दुहाई देती आई है, मगर हकीकत क्या है वह सत्ता में आने पर सामने आई है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े लोग भ्रष्टाचार के साथ व्यभिचार को भी बढ़ावा दे रहे हैं. शहरों से लेकर कस्बों तक के लोग इनसे परेशान हैं.
भाजपा के शासनकाल का यह पहला मामला है जिसमें एक मंत्री को अनैतिक कार्य के चलते कुर्सी गंवाना पड़ी है. बात अगर कांग्रेसकाल की करें तो दिग्विजय सिंह के शासनकाल में एक युवती जिसका नाता ग्वालियर से हुआ करता था, वह मंत्रालय से लेकर सत्ता व विपक्ष के नेताओं के बंगलों तक पर नजर आती थी.
इस युवती की सक्रियता के चलते कई नेताओं के विवाद में फंसने के आसार बन गए थे. इस युवती ने सरकार से जुड़े लोगों को भोपाल से बाहर जाने के लिए मजबूर कर दिया था.
बहरहाल,राज्य की सियासत में राघवजी की सीडी और शिकायत से मचे तूफान के जल्द शांत होने के आसार कम हैं,क्योंकि विधानसभा चुनाव के अब ज्यादा दिन नहीं बचे हैं, इसलिए हर नेता व दल अपने विरोधी को सबक सिखाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार बैठा है.