नयी दिल्ली: कैबिनेट द्वारा खाद्य सुरक्षा विधेयक को लागू करवाने के लिए अपनी मंजूरी दिए जाने के बाद भी कई मंत्रियों का कहना है कि शासकीय आदेश को जल्द ही संसद द्वारा पारित किए जाने के बाद कानून का रुप लेना चाहिए.
आज कैबिनेट की बैठक के दौरान कुछ मंत्रियों की राय थी कि अध्यादेश को संसद की मंजूरी मिलनी चाहिए ताकि यह एक कानून बने. कृषि मंत्री शरद पवार के बारे में समझा जाता है कि उन्होंने कहा कि देश में बढ़ती भोजन की मांग को पूरा करने के लिए जीएम फसलों को अनुमति दी जानी चाहिए. उनका कहना था कि देश में सिंचाई ढांचे में सुधार के लिए अधिक निवेश की जरुरत है.
उन्होंने दालों और तिलहन को योजना में शामिल किए जाने की इच्छा जतायी ताकि गरीबों को उचित पोषण मिल सके. राजनीतिक विरोध को दरकिनार करते हुए सरकार ने आज देश की दो तिहाई आबादी को प्रति माह पांच किलोग्राम खाद्यान्न बेहद उच्च सब्सिडी दरों , एक से तीन रुपये प्रति किलो की दर से उपलब्ध कराने के लिए अध्यादेश जारी करने का फैसला किया.
खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम एक बार लागू होने पर दुनिया का अपने किस्म का सबसे बड़ा कार्यक्रम होगा जिसमें सरकार प्रति वर्ष 125, 000 करोड़ रुपये करीब छह करोड़ 20 लाख टन चावल, गेंहू और मोटा अनाज 67 फीसदी आबादी को उपलब्ध कराएगी.