नई दिल्ली :नए बैंक लाइसेंस के लिए 26 सार्वजनिक और निजी कंपनियों से मिले आवेदनों के बीच वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा है कि लाइसेंस के लिए कोई संख्या तय नहीं की गई है.
चिदंबरम ने प्रेट्र के साथ यहां एक साक्षात्कार में लाइसेंसों की संख्या के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘‘ मुङो नहीं लगता कि कोई सीमा तय है. मुङो नहीं लगता कि कोई संख्या तय की गई है. यह सब इस पर निर्भर करता है कि कितने आवेदक योग्य हैं. कोई आवेदन करने से ही पात्र आवेदक नहीं बन जाता.’’
उन्होंने कहा ‘‘यदि योग्य आवेदक बहुत कम होते हैं तो बैंक लाइसेंस प्राप्त करने वालों की संख्या बहुत कम होगी। मुङो नहीं लगता कि गर्वनर के दिमाग में कोई सीमा है.’’ यह पूछने पर कि भारत को बड़े बैंकों या बड़ी तादाद में बैंकों की संख्या की जरुरत है वित्त मंत्री ने कहा कि दोनों की जरुरत है.
उन्होंने कहा ‘‘बैंकों की ज्यादा तादाद का मतलब होगा ज्यादा प्रतिस्पर्धा और ज्यादा प्रसार और तेजी से वित्तीय समावेश.’’ उन्होंने कहा ‘‘बड़े बैंकों का मतलब होगा कि हम विदेशी बैंकों के धन पर निर्भर करने की बजाय अपने बैंकों के धन का इस्तेमाल कर सकेंगे। इसलिए इस देश के लिए दोनों जरुरी है.’’ कल आरबीआई ने बैंक लाइसेंस के लिए आवेदन करने वाली 26 कंपनियों की घोषणा की जिनमें टाटा संस, एलआईसी हाउसिंग फिनांस, आदित्य बिड़ला नुवो, डाक विभाग, रिलायंस कैपिटल, एलएंडटी फिनांस और बजाज फिनसर्व शामिल हैं.
आरबीआई ने 22 फरवरी को ‘निजी क्षेत्र में नए बैंक लाइसेंस’ के लिए दिशानिर्देश जारी किया था और उसने जून के पहले सप्ताह में उनके बारे में एक स्पष्टीकरण जारी किया.
आरबीआई गवर्नर डी सुब्बाराव ने इससे पहले कहा था ‘‘हमारी कोशिश होगी कि इस फैसले को यथा संभव पारदर्शी, वस्तुनिष्ठ और तार्किक बनाया जाए . मैं कहना चाहता हूं कि जो भी योग्य हैं उन सबको बैंक लाइसेंस नहीं दिया जाएगा क्योंकि हमें उम्मीद है योग्य आवेदकों की संख्या अर्थपूर्ण लाइसेंस की संख्या से बहुत अधिक होगी.’’रिजर्व बैंक अगले साल मार्च तक नए लाइसेंस जारी कर सकता है.
भारत में 26 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक हैं, 22 निजी क्षेत्र बैंक और 56 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक हैं.
जनवरी 1993 में जारी दिशानिर्देश के आधार पर 10 बैंकों को लाइसेंस प्रदान किया गया था.