लखनऊ: अखिलेश यादव सरकार के सबसे पावरफुल मंत्री आजम खां पहली बार बैकफुट पर हैं. रामपुर के युवा उद्यमी फैसल खां और स्वारटांडा के विधायक काजिम अली इसकी वजह हैं. फैसल को आजम खां से खतरा है. फैसल का आरोप है कि आजम ने उन्हें तबाह किया है और वह मुझे मरवा देंगे. वहीं काजिम अली कहते है कि आजम खां ने रामपुर में निजी ट्रस्ट के लिए सैकड़ों बीघा शत्रु संपत्ति पर कब्जा की है. सपा सरकार के प्रमुख मंत्री के खिलाफ लगे ऐसे गंभीर आरोप पर भाजपा, बसपा और कांग्रेस ने मुख्यमंत्री से सफाई मांगी है. इन दलों ने मंत्रियों पर मनमानी करने का आरोप लगाया है.
सपा सरकार के मंत्रियों पर दबंगई और मनमानी करने का आरोप लगता रहा है पर अभी तक आजम खां पर खुल कर ऐसा आरोप नहीं लगा था. हालांकि सरकार बनने के बाद से आजम खां सरकार के लिए कोई ना कोई संकट खड़ा करते रहे हैं. मंत्री पद की शपथ लेने का मामला हो या मुख्यमंत्री के साथ अमेरिका जाने का. उन्हीं के कारनामों की वजह से मुख्यमंत्री को आज भी शर्मिन्दा होना पड़ता है. हाल ही में उन्हें प्रदेश पुलिस पर पैसा लेकर आरोपी को छोड़ने का आरोप लगाकर सूबे की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर दिया था. उत्तराखंड की भीषण त्रासदी पर भी आजम ने यह कहकर सरकार की किरकिरी कराई कि यदि उत्तराखंड प्रदेश का हिस्सा होता को 24 घंटे के भीतर ही सभी को सुरक्षित निकाल लिया गया होगा. सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री ने उनके इस बयान को अनुचित माना था पर सपा प्रमुख मुलायम सिंह के चलते आजम खां से इस बयान को लेकर पूछताछ नहीं की.
परन्तु फैसल खां और काजिम अली के आरोपों की जानकारी उन्होंने रविवाद को जरूर अपने अधिकारियों से की. तो उन्हें बताया गया कि फैसल खां ने आरोप लगाया है कि कुछ समय पूर्व वह मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मिला था. जिसे लेकर आजम खां मुझसे इतने नाराज हुए कि उनकी दो फैक्ट्रियों और फ्रूट मंडी की आढ़त का लाइसेंस निरस्त करा दिया. फैक्ट्री की बिजली कटवा दी और रात को एक बजे घर पर छापा डलवाया. जबकि काजिम अली का यह आरोप है कि रामपुर में शासन-प्रशासन नहीं आजम खां का आदेश चलता है. जौहर ट्रस्ट के लिए जमीन के दो टुकड़ों पर आजम ने कब्जा किया है. इनका रकबा 220 और 200 बीघा है. यह जमीन यूनिवर्सिटी परिसर में है. अरबों की इस जमीन के बारे में उन्होंने कई बार डीएम से जानकारी मांगी लेकिन नहीं दी गई.
सुत्रों के अनुसार फैसल खां और काजिम अली के आरोपों की जानकारी प्राप्त करने के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आजम खां से फोन पर इस मामले में पूछताछ की और इस प्रकरण को सुलटाने का आदेश दिया. मुख्यमंत्री का यह सख्त रूख दे आजम खां बैकफुट पर आ गए और उन्होंने फैसल खां और काजिम अली के आरोपों को बेबुनियाद बताया है. आजम ने वक्फ संपत्तियों पर कब्जा करने वालों को जेल भेजने का दावा भी किया. यह भी कहा कि मेरे खिलाफ शिकायत करने वाले लोगों के लिए इस मुल्क की हर अदालत के दरवाजे खुले हैं, वे जब चाहें मेरे खिलाफ इन दरवाजों को खटखटा लें. अगर मैं दोषी पाया जाता हूँ तो इन अदालतों द्वारा मुझे जो सजा दी जायेगी वह मुझे बखुशी मंजूर होगी. आजम खां की इस सफाई से विपक्षी दलों तानाशाही पूर्ण बताया है. भाजपा के विजय पाठक कहते हैं कि आजम खां की दबंगई पर उतारू है. वही काजिम अली कहते हैं कि जनता के बीच उन्होंने आजम खां की सच्चाई को उजागर कर दिया और अब अदालत की शरण लेंगे. ताकि आजम की मनमानी पर अंकुश लगाया जा सके.
।।राजेन्द्र कुमार।।