देहरादून : बद्रीनाथ से अधिसंख्यक तीर्थयात्रियों को निकाले जाने के बाद अब वहां इलाके में बिघरे पड़े शवों का अंतिम संस्कार तथा बाढ़ से घिरे गांवों में स्थानीय लोगों तक राहत सामग्री को पहुंचाना उत्तराखंड में प्रशासन के लिए नयी चुनौती बन गया है.
उत्तराखंड में आयी भीषण बाढ़ और विशाल पैमाने पर हुए भूस्खलन की आपदा को आये 15 दिन बीत चुके हैं लेकिन मृतकों की संख्या को लेकर प्रशासन के पास कोई ठोस आंकड़े नहीं हैं. बद्रीनाथ और जोशीमठ से आज पांच हेलिकाप्टरों से 200 और तीर्थयात्रियों को निकाला गया और सरकार दावा कर रही है कि वहां केवल 500 तीर्थयात्री बचे हैं जिनके पास अपनी देखभाल के लिए पर्याप्त खाद्य सामग्री, दवाएं और डाक्टर उपलब्ध हैं.
उधर, प्रदेश में जगह जगह सड़कों के बह जाने के कारण राहत सामग्रियों से लदे ट्रक जगह जगह फंसे खड़े हैं और प्रभावित गांवों में राहत सामग्री पहुंचाना प्रशासन के लिए नई चुनौती बन गया है. सरकारी सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि सड़कों को भारी नुकसान हुआ है. डीआईजी संजय गुंजयाल ने बताया कि सर्वाधिक प्रभावित केदारनाथ घाटी में शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है लेकिन तेजी से बदलते मौसम के चलते यह प्रक्रिया धीमी है.
प्राकृतिक आपदा में मरने वाले लोगों की संख्या को लेकर भी कोई सटीक आंकड़ें सामने नहीं आ रहे हैं. मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा का कहना है कि मृतकों की संख्या एक हजार से अधिक हो सकती है और विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल दावा कर रहे हैं कि मृतकों की संख्या दस हजार के पार जा सकती है.