बलिया: उत्तर प्रदेश के सीमित क्षेत्र में मौजूद नक्सल समस्या पर लगाम कसने के लिये पुलिस की सामुदायिक पुलिसिंग और आक्रामक रवैये की जुगलबंदी की कामयाबी के आभास के बीच बलिया जिला प्रशासन द्वारा इस जिले के 53 गांवों में नक्सलवाद की जड़ें जमने की आशंका जताते हुए भेजा गया खत, राज्य पुलिस को अपनी योजनाओं में बदलाव के लिये मजबूर कर सकता है.
पुलिस सूत्रों के मुताबिक अतरडरिया गांव में पिछले साल 18 नवम्बर को राजस्व मंत्री की करीबी कही जाने वाली ग्राम प्रधान फूलमती देवी की हत्या के मामले में गिरफ्तार किये गये पांच अभियुक्तों की स्वीकारोक्ति ने पुलिस प्रशासन की पेशानी पर बल ला दिये थे. पकड़े गये लोगों ने पूछताछ में रहस्योद्घाटन किया था कि नक्सलवादियों ने बलिया में दमन विरोधी मोर्चा बना लिया है.
इन हालात के चलते अब क्रान्तिवीरों और मनीषियों की धरती रहे बलिया जिले को राज्य सरकार नक्सल प्रभावित चौथा जनपद घोषित करने की तैयारी में है. अभी तक सोनभद्र, मिर्जापुर और चन्दौली इस श्रेणी में हैं. बलिया के पुलिस अधीक्षक ओंकार सिंह ने जिलाधिकारी के साथ संयुक्त हस्ताक्षरित पत्र में कहा है, ‘‘नक्सलवाद के पनपने के लिये जो अवयव जरुरी होते हैं, वे सभी बलिया में मौजूद हैं. इसका समय रहते निराकरण नहीं किया गया तो नक्सलवाद की जड़ें इस जनपद में मजबूत होंगी. इससे आपराधिक घटनाओं में वृद्धि होगी और शांति व्यवस्था एवं विकास के लिये चुनौतियां खड़ी होंगी.’’