देहरादून:मौसम विभाग का यह आरोप बिलकुल गलत है कि उनकी चेतावनी के बावजूद राज्य सरकार ने केदारनाथ के तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के लिए कुछ नहीं किया. यह कहना है उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा का.
उन्होंने कहा है कि सरकार की ओर से कोई लापरवाही नहीं की गयी है. गौरतलब है कि मौसम विभाग ने सरकार पर यह आरोप लगाया है कि उसने सरकार को आपदा की चेतावनी दी थी लेकिन सरकार ने चेतावनी की अनदेखी की, जिसके कारण प्रदेश में इतनी बडी तबाही आयी.
मृतकों की सही संख्या का कभी पता नहीं चलेगा
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने आज कहा कि उत्तराखंड में भीषण बाढ़ का शिकार हुए लोगों की सही संख्या का कभी पता नहीं चल पाएगा. उनका अंदाजा है कि इस त्रासदी में मरने वालों की संख्या सैंकड़ों से लेकर हजारों में हो सकती है.
बहुगुणा ने साक्षात्कार में बताया, ‘‘ हम उन लोगों की संख्या का सही सही पता कभी नहीं लगा पाएंगे जो मारे गए और जो लोग मलबे में दबकर मर गए या बाढ़ के पानी में बह गए.’’ विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने कल कहा था कि मारे गए लोगों की संख्या दस हजार तक हो सकती है लेकिन मुख्यमंत्री ने कहा था कि यह आंकड़ा गलत है.
भयानक त्रासदी के बाद जिंदगी को सामान्य करने की जद्दोजहद में जुटे लोगों की मुश्किलों के बीच उन्होंने कहा, ‘‘ 500 600 शव देखे जा सकते हैं , न केवल केदारनाथ इलाके में बल्कि पूरे राज्य में.’’ साक्षात्कार में मुख्यमंत्री ने हालात से निपटने को लेकर प्रदेश सरकार की आलोचना तथा इसे मानव निर्मित त्रासदी बताए जाने को खारिज किया.बहुगुणा ने कहा कि जहां तक राज्य के लापता लोगों का सवाल है , जिला प्रशासन इस पर काम करेगा. उन्होंने कहा, ‘‘ अपने राज्य के पीड़ित लोगों को हम मुआवजा देंगे और इस काम को जल्दी किया जाएगा.’’
उन्होंने कहा कि जहां तक अन्य राज्यों के लोगों का सवाल है , उन्हें अपने राज्यों में शिकायतें दर्ज करानी चाहिए. मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘ यदि राज्य , उत्तराखंड को इस बात की पुष्टि करते हैं कि उनके राज्यों के लोग तीर्थयात्र पर यहां आए थे और इतने तीर्थयात्रियों को मृत मान लिया जाना चाहिए और इतने लोग वापस नहीं लौटे तब हम उनकी बात को स्वीकार करेंगे और संबंधित मुख्य सचिवों को मुआवजा राशि उनके राज्यों के पीड़ितों को वितरित करने के लिए दी जाएगी.’’ बहुगुणा ने कहा, ‘‘ डीआईजी रैंक के अधिकारी (श्री गुंजियाल ) केदारनाथ में हैं और उन्हें शवों के अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी सौंपी गयी है. अंतिम संस्कार की प्रक्रिया जारी है.’’
उन्होंने बताया, ‘‘ जो लाशें गलियों में पड़ी हैं ( उनका अंतिम संस्कार हो रहा है ). बहुत से लोगों के शव उन इमारतों में फंसे पड़े हैं जिनमें वे रह रहे थे लेकिन उन्हें बाहर निकालने के लिए कुछ मशीनों की जरुरत है. कुछ जेसीबी मशीनें उपलब्ध करायी जा रही हैं.’’ बहुगुणा ने बताया कि वायुसेना और लोक निर्माण विभाग जेसीबी के डिजाइन आदि का फैसला कर रहा है जिन्हें हेलिकाप्टरों से इन जगहों पर ले जाया जाएगा.
उन्होंने बताया, ‘‘ जो शव रामबाड़ा में पड़े हैं उन तक कोई पहुंच नहीं सकता. लेकिन सवाल यह है कि हम क्या करें जिससे कि पर्यावरण प्रदूषित नहीं हो. कुछ रसायन और पाउडर का इस्तेमाल करना पड़ेगा.’’ आपदा पर कार्रवाई को लेकर हो रही आलोचना के संबंध में सवाल किए जाने पर उन्होंने कहा कि सेना और सरकार की बेहद त्वरित जवाबी प्रतिक्रिया थी.
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘ कोई देरी नहीं हुई. केवल खराब मौसम और सड़क संपर्क की समस्या के चलते उन्हें वहां पहुंचने में समय लगा. लेकिन जब वे पहुंचे तो बड़ी सचाई यह है कि हजारों लोगों को निकाला गया और पिछले कुछ दिनों में एक लाख से अधिक लोगों को बिना वहां कानून व्यवस्था की समस्या हुए निकाला गया. इसका श्रेय राज्य सरकार को जाना चाहिए कि वहां कानून व्यवस्था की कोई समस्या नहीं थी. ’’ मुख्यमंत्री ने बताया कि वहां 200 से अधिक गांव थे जहां कोई संपर्क नहीं था और इनका पुनर्निर्माण करना होगा. इसके लिए एक सर्वेक्षण किया गया है और विशेषज्ञों से सलाह मशविरा किया जाएगा.
उन्होंने बताया, ‘‘ इन गांवों के लिए भोजन भेजा जाएगा. काम प्रगति पर है. हम खाना भेज रहे हैं ताकि ग्रामीण दो माह तक गुजारा कर सकें. राहत सामग्री जिला मुख्यालयों पर रखी है.’’ मुख्यमंत्री ने बताया कि सप्ताह भर में सभी स्थानों के लिए कच्चे रास्ते बनाए जाएंगे ताकि कुछ संपर्क बहाल हो सके.उन्होंने कहा, ‘‘ कोई गांव ऐसा नहीं छोड़ा जाएगा जहां राहत सामग्री नहीं पहुंचे. यह हमारी प्राथमिकता है. इस काम में कुछ समय लगेगा क्योंकि मानसून के दौरान पक्की सड़कें नहीं बनायी जा सकती.’’ बहुगुणा ने कहा, ‘‘ मैं इस पर आपसे सहमत नहीं हूं कि यह मानव निर्मित आपदा है. आपदाओं पर हमारा नियंत्रण नहीं है. मैं सुनामी, भूकंप या बादल फटने की घटना को नहीं रोक सकता. ऐसे हालात में मैं क्या कर सकता हूं कि कैसे मैं अपने लोगों की जान बचाउं. आपदाएं हमारे नियंत्रण में नहीं हैं. ’’