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केदारनाथ में 15 दिन बाद होगी पूजा शुरू

नयी दिल्ली: केदारनाथ में विधि विधान से पूजा शुरु कराने से पहले मंदिर की साफ सफाई के लिये मंदिर समिति कल 10 सदस्यीय नई टीम वहां भेजेगी जिसके बाद मंदिर का शुद्धिकरण होगा. उत्तराखंड में आई भीषण बाढ में सबसे ज्यादा नुकसान केदारनाथ क्षेत्र को ही हुआ है हालांकि मंदिर सुरक्षित है. बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर […]

नयी दिल्ली: केदारनाथ में विधि विधान से पूजा शुरु कराने से पहले मंदिर की साफ सफाई के लिये मंदिर समिति कल 10 सदस्यीय नई टीम वहां भेजेगी जिसके बाद मंदिर का शुद्धिकरण होगा.

उत्तराखंड में आई भीषण बाढ में सबसे ज्यादा नुकसान केदारनाथ क्षेत्र को ही हुआ है हालांकि मंदिर सुरक्षित है. बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष और श्रीनगर के विधायक गणोश गोदियाल ने श्रीनगर से भाषा को फोन पर बताया, ‘‘मंदिर में अभी नियमित पूजा शुरु नहीं हुई है. अभी वहां काफी मलबा जमा है जिसकी सफाई के लिये हम कल हेलिकाप्टर से दस सदस्यीय टीम भेज रहे हैं. टीम की अगुवाई केदारनाथ के कार्यकारी अधिकारी अनिल शर्मा करेंगे. मैं भी परसों वहां पहुंच जाउंगा.’’

उन्होंने कहा, ‘‘मंदिर परिसर से सारे शव हटा दिये गए हैं. शिवलिंग रेत में डेढ फुट भीतर चला गया है लेकिन उसे कोई हानि नहीं हुई है. मंदिर के भीतर मलबा जमा है जिसे कुछ हद तक मंदिर समिति और एनडीआरएफ के जवानों ने हटाया. अब यह नई टीम कल जा रही है.’’गोदियाल ने कहा, ‘‘चूंकि बाढ में मंदिर समिति के भी कई कर्मचारी लापता हो गए हैं लिहाजा हमें नई टीम बनानी पड़ी.’’ मंदिर में पूजा शुरु होने की मीडिया में आ रही खबरों के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, ‘‘पुजारियों की मौजूदगी में विधि विधान से अभी कोई पूजा नहीं हुई है जो लोग बाढ में बच गए हैं, वे शंकरजी को अगरबत्ती, फूल और बेलपत्र चढा रहे हैं. यह उनकी आस्था है.’’

उन्होंने कहा, ‘‘सफाई के बाद शंकराचार्य और रावलजी (भीमशंकर लिंग शिवाचार्य, केदारनाथ के मुख्य पुरोहित ) के मार्गदर्शन में शुद्धिकरण के बाद पूजा संपन्न होगी. इसमें 15 दिन का समय लग जायेगा.’’ वहीं केदारनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी बागेश लिंग ने बताया था कि मंदिर से चलायमान मूर्तियां नीचे उखीमठ लाई जा चुकी है जहां आम तौर पर ठंड के महीने में उनकी स्थापना की जाती है.उन्होंने कहा, ‘‘हम आम तौर पर ठंड में मूर्तियां नीचे लाते हैं लेकिन बाढ के कारण पहले लाना पड़ा. अब केदारनाथ मंदिर के शुद्धिकरण के बाद ही वहां पूजा शुरु होगी. जब तक शुद्धिकरण नहीं होगा, वहां पूजा नहीं हो सकती.’’

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