नई दिल्ली : कृषि भूमि पर संपत्ति कर लगाने के बजट प्रस्ताव को लेकर हमले झेल रही सरकार ने आज स्पष्ट किया कि संपत्ति कर केवल शहरी भूमि पर लगाने का प्रस्ताव है कृषि भूमि पर यह लागू नहीं होगा.
लोकसभा में वित्त विधेयक 2013 पारित होने के बाद वित्त मंत्रालय ने स्पष्टीकरण जारी करते हुये कहा ‘‘संपत्ति कर केवल गैर.उत्पादक संपत्ति पर लगाया गया है, कृषि भूमि पर संपत्ति कर लगाने की कोई मंशा नहीं है, इसे गैर उत्पादक संपत्ति नहीं ठहराया जा सकता है.’’
इसमें आगे कहा गया है ऐसी शहरी भूमि जिसे सरकारी रिकार्ड में कृषि भूमि की श्रेणी में रखा गया है और कृषि कार्यों के लिये इसका इस्तेमाल किया जा रहा है, उसपर संपत्ति कर नहीं लगाया जा सकता. वित्त मंत्रालय ने कहा है कि कानून में इस तरह का संशोधन 1 अप्रैल 1993 की पिछली तिथि से प्रभावी होगा.
इस बारे में विशेषतौर पर पंजाब और हरियाणा के किसानों में आशंका बढ़ गई थी. कांग्रेस के विरोधियों ने इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश की. वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने इस बारे में सबसे पहले स्पष्टीकरण देते हुये कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार का कृषि भूमि पर संपत्ति कर लगाने का कोई इरादा नहीं है.
50 लाख रूपये से अधिक मूल्य की जमीन जायदाद की बिक्री पर एक प्रतिशत की दर से टीडीएस काटे जाने के मुद्दे पर वित्त मंत्री ने कहा कि इस तरह के सौदों में टीडीएस काटने वाले व्यक्ति को कर कटौती और संग्रह खाता संख्या (टैन) लेने की आवश्यकता नहीं है.
प्रवासी भारतीयों के दीर्घकालिक ढांचागत बांड में निवेश पर प्रवासी भारतीयों को 5 प्रतिशत की निम्न दर से विदहोल्डिंग कर का दावा करने के लिये स्थायी खाता संख्या (पैन) की उपलब्धता पूर्व शर्त नहीं होगी.
इससे पहले यह शर्त रखी गई थी कि यदि प्रवासी भारतीय इकाई पैन नहीं दिखाती है तो ऐसे निवेश के ब्याज पर 20 प्रतिशत की दर से विदहोल्डिंग कर लगाया जायेगा. प्रवासी भारतीयों के लिये पैन की व्यावहारिक समस्या को देखते हुये यह कदम उठाया गया है.