मुंबई: पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन ने आज कहा कि लगभग 40 जहाज भारत के तटों पर रुके हुए हैं.नटराजन ने संवाददाताओं को बताया, ‘‘लेकिन स्थिति नियंत्रण में है. जहाजरानी मंत्रालय की शासन पद्धति कड़ी है.
अगर यह कारगर साबित नहीं होती तो हम पर्यावरण संरक्षण कानून को प्रयोग में लाएंगे.’’नटराजन ने कहा, ‘‘जहाजरानी मंत्रालय और तटरक्षकों ने यह आश्वासन दिया है कि कोई भी जहाज भारतीय सीमा में प्रवेश नहीं कर सकेगा. यह सुनिश्चित किया गया है कि उनका पर्याप्त बीमा हो, खासकर तब जबकि ये एक तय अवधि से पुराने हों.’’ उन्होंने कहा कि कोई भी रेडियोधर्मी पदार्थ हमारी सीमा में प्रवेश न कर सके, इसके लिए सभी चौकियों पर जरुरी उपकरण हैं और वे सही तरीके से काम कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि अगर कभी यह पदार्थ किसी तरह बच निकलता है तो बंदरगाहों पर ऐसे पदार्थों को पकड़ने और उसके सुरक्षित निपटान की प्रक्रिया है. जयंती ने कहा, ‘‘एक धनकोष बनाने और भविष्य में होने वाले तेल रिसाव की भविष्यवाणी की व्यवस्था करने की जरुरत है.’’
पारिस्थितिकी पर रखना होगा ध्यान :नटराजन
मुंबई: उत्तराखंड में आई आपदा के कारणों पर चर्चाओं के बीच पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन ने आज कहा कि पर्वतीय प्रदेश में पारिस्थितिकी के तौर पर संवेदनशील क्षेत्र (इको-सेंसिटिव जोन) की योजना विचाराधीन है और अधिकारियों को क्षेत्र की संवेदनशील पारिस्थितिकी से समझौता नहीं करना चाहिए.
पर्यावरणविदों का कहना है कि उत्तराखंड में बाढ़ की आपदा मानवजनित है जो कभी न कभी आनी ही थी जबकि प्रशासन इस बात पर जोर दे रहा है कि यह प्राकृतिक आपदा है. मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने बाढ़ और बारिश की आपदा को अभूतपूर्व बताते हुए इसे ‘हिमालयी सुनामी’ की संज्ञा दी थी.
नटराजन ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘पर्यावरण मंत्री के नाते मुङो लगता है कि यह पारिस्थितिकी के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्र है और पारिस्थितिकीय तौर पर संवेदनशील क्षेत्र के प्रस्तावों को अमल में लाने की जरुरत है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाले राष्ट्रीय गंगा नदी घाटी प्राधिकरण ने सिफारिश की थी कि गोमुख से उत्तरकाशी की ओर 130 किलोमीटर के दायरे में पारिस्थितिकी तौर पर संवेदनशील क्षेत्र होना चाहिए. प्रस्ताव को स्वीकार किया गया और 2011 में अधिसूचना का मसौदा रखा गया. बाद में इसे अंतिम रुप दिया गया. अत: अधिसूचना प्रभाव में है.’’
मंत्री ने कहा, ‘‘ऐसे समय में जब वहां हजारो लोग फंसे हुए हैं और बचाव कार्य चल रहे हैं, मुङो लगता है कि प्राथमिकता राहत और बचाव कार्यों की है और उसके बाद मेरा पुरजोर मानना है कि पारिस्थितिकीय तौर पर संवेदनशील क्षेत्र का प्रस्ताव अहमियत रखता है.’’