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केंद्र प्रायोजित स्कीमों के विलय का प्रस्ताव मंजूर

नयी दिल्ली: सरकार ने केंद्र प्रायोजित स्कीमों का परस्पर विलय कर उनकी संख्या घटाकर 66 करने का फैसला किया है. योजना आयोग के इस प्रस्ताव पर आज केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मुहर लगायी. मंत्रिमंडल की बैठक के बाद योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया और सूचना प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने संवाददाताओं को बताया कि […]

नयी दिल्ली: सरकार ने केंद्र प्रायोजित स्कीमों का परस्पर विलय कर उनकी संख्या घटाकर 66 करने का फैसला किया है.

योजना आयोग के इस प्रस्ताव पर आज केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मुहर लगायी. मंत्रिमंडल की बैठक के बाद योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया और सूचना प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने संवाददाताओं को बताया कि 12वीं योजना में केंद्र प्रायोजित और अतिरिक्त केंद्रीय सहायता स्कीमों की संख्या 66 रहेगी, जिनमें फ्लैगशिप कार्यक्रम भी शामिल हैं.

उन्होंने बताया कि इन स्कीमों में स्वास्थ्य, शिक्षा, सिंचाई, शहरी विकास, बुनियादी ढांचा, कौशल विकास जैसे क्षेत्रों में चलाये जा रहे सरकार के फ्लैगशिप कार्यक्रम भी शामिल हैं. तिवारी ने कहा कि केंद्र की विकास की नीतियों को एकत्र कर युक्तिसंगत बनाया गया है. हर स्कीम में दस प्रतिशत कोष के खर्च करने के नियमों में फ्लेक्सिबिलिटी (लचीलापन) होगा. यदि कोई राज्य किसी स्कीम में तब्दीली चाहता है तो उसकी भी गुंजाइश होगी. विकास और कार्यान्वयन के लिहाज से यह महत्वपूर्ण पहल है और इससे राज्यों के जिला प्रशासन को सहूलियतें होंगी.

अहलूवालिया ने बताया कि केंद्र प्रायोजित स्कीमों के व्यापक विश्लेषण के लिए चतुर्वेदी समिति बनायी गयी थी, जिसने अपनी रपट सौंप दी है. वित्त मंत्री ने भी अपने बजट भाषण में केंद्र प्रायोजित स्कीमों की संख्या घटाने की बात कही थी. इन्हीं सबके आधार पर अब कैबिनेट ने योजना आयोग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जिस पर मंत्रीसमूह ने भी व्यापक विचार विमर्श किया था.

अहलूवालिया ने कहा कि केंद्र प्रायोजित स्कीमों को अब घटाकर 66 कर दिया गया है. एक ही क्षेत्र की एक जैसी कई स्कीमों का विलय किया गया है. कैबिनेट ने फ्लेक्सिबिलिटी के मुद्दे पर भी तय किया है कि स्कीमों को लेकर केंद्र के दिशानिर्देश के अलावा राज्यों को भी इन दिशानिर्देशों में फेरबदल के लिए आमंत्रित किया जाएगा. राज्य बता सकते हैं कि वे क्या फ्लेक्सिबिलिटी चाहते हैं.

अहलूवालिया ने कहा कि राज्यों को स्कीमों के लिए मिलने वाले आवंटन में दस प्रतिशत की पूर्ण फ्लेक्सिबिलिटी प्रदान की जाएगी. इससे नवीनता को प्रोत्साहन मिलेगा.

उन्होंने कहा कि अगले वित्त वर्ष से केंद्र प्रायोजित स्कीमों को लेकर आज के फैसले का पूर्ण रुप से कार्यान्वयन हो जाएगा. अगले साल से केवल 66 स्कीमें चलेंगी, जिनमें 17 फ्लैगशिप परियोजनाएं होंगी. फ्लैगशिप परियोजनाएं 4500 करोड रुपये से लेकर 30000 करोड रुपये के आवंटन वाली हैं.

यह कहे जाने पर कि कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने अधिक फ्लेक्सिबिलिटी की मांगी की है, अहलूवालिया ने कहा कि यह एक प्रयोग है. यह प्रयोग सफल रहा और फिर कोई मंत्रलय किसी योजना को लेकर फ्लेक्सिबिलिटी बढाना चाहता है तो ‘मेरे नजरिये में इसकी अनुमति मिलनी चाहिए. लेकिन ऐसा कोई फैसला करने से पहले कैबिनेट में इसकी मंजूरी लेनी होगी.’

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