नयी दिल्ली : नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) शशि कांत शर्मा ने सांठगांठ वाले पूंजीवाद (क्रोनी कैपिटलिज्म) से प्रभावी तरीके से निपटने पर बल दिया और कहा कि इससे प्रतिस्पर्धा तथा पारदर्शिता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है. उन्होंने सार्वजनिक कोष के दुरुपयोग को रोकने की जरुरत को भी रेखांकित किया और कहा कि इसकी गरीबी […]
नयी दिल्ली : नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) शशि कांत शर्मा ने सांठगांठ वाले पूंजीवाद (क्रोनी कैपिटलिज्म) से प्रभावी तरीके से निपटने पर बल दिया और कहा कि इससे प्रतिस्पर्धा तथा पारदर्शिता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है.
उन्होंने सार्वजनिक कोष के दुरुपयोग को रोकने की जरुरत को भी रेखांकित किया और कहा कि इसकी गरीबी उन्मूलन तथा बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए जरुरत है.
कर्नाटक के अंकोला में एक कार्यक्रम के दौरान शर्मा ने यह बात कही. उन्होंने कहा कि सार्वजनिक संसाधनों का दुरुपयोग तथा साठगांठ वाले पूंजीवाद से प्रतिस्पर्धा तथा पारदर्शिता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है और लेन-देन में पक्षपात तथा अनियमितता दखेने को मिलती है. वास्तव में ये ऐसे क्षेत्र में हैं जहां हमें कुछ करना है.
सांठगांठ वाले पूंजीवाद से आशय ऐसे व्यापार माहौल से है जहां सफलता कंपनियों तथा सरकारी मशीनरी के बीच संबंधों पर निर्भर है. विज्ञप्ति के अनुसार शर्मा ने कहा कि हालांकि देश में कुछ क्षेत्रों में अच्छी प्रगति की है, लेकिन कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहां सरकार को ध्यान देने की जरुरत है.
उन्होंने अधिक बेरोजगारी, बुनियादी ढांचे की खराब स्थिति, स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी का जिक्र किया और कहा कि इन क्षेत्रों में निवेश की जरुरत है.