लखनऊ: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन डी तिवारी(नारायण दत्त तिवारी) ने अपनी नयी वसीयत तैयार की है. इस वसीयत में उन्होंने एक बड़ा फैसला लिया. वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने अपनी पारिवारिक और राजनीतिक विरासत अपने बेटे रोहित और पत्नी के नाम कर दिया है. बुधवार को एन डी तिवारी ने इसकी औपचारिक घोषणा की.
अपने आवास में संवाददाताओं से बातचीत में एन डी तिवारी ने कहा कि मैं अपनी बढ़ती उम्र के मद्देनजर यह फैसला लिया है कि आज से मेरी सारी पारिवारिक और राजनीतिक विरासत को रोहित संभालेंगे. उन्होंने कहा कि मैं अपने बेटे रोहित को अपना उत्तराधिकारी घोषित करता हूं.
तिवारी ने कहा कि मैं घोषणा करता हूं कि मेरे बेटे रोहित आज से विरासत संभालेंगे. मुझे रोहित पर पूरा भरोसा है और हर्ष है कि मेरा बेटा इसके लिए तैयार है. एन डी तिवारी ने कहा कि मुझे विश्वास है कि रोहित उनके विश्वास को कभी भी टूटने नहीं देंगे.
* मुद्दतों बाद माना रोहित को अपना बेटा
कांग्रेस के वयोवृद्ध नेता नारायण दत्त तिवारी बहुत दिनों तक रोहित शेखर तिवारी को अपना बेटा मानने से इनकार किया था. इस मामले को लेकर उनपर कई दफा आरोप भी लगाया गया था. कई वर्षों तक रोहित की मां और अपने को एनडी तिवारी की पत्नी बताने वाली उज्जवला ने अपना हक पाने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. लेकिन अंतत: एनडी तिवारी को मानना ही पड़ा कि रोहित शेखर उनके ही पुत्र हैं और उज्जवला उनकी पत्नी हैं.
एनडी तिवारी ने साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि मैं मानता हूं कि रोहित मेरा बेटा है. इसका चेहरा ही इस बात को साबित करने के लिए काफी है. इसका चेहरा मुझसे मिलता है. मैं रोहित की मां उज्जवला का भी सम्मान करता हूं. रोहित मेरा उत्तराधिकारी है.
* एनडी तिवारी की राजनीतिक सफर
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नारायण दत्त तिवारी ने 1952 ई से अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरूआत की. वह पहली बार उत्तर प्रदेश के नैनिताल से स्वतंत्र रूप से विधायक चुने गये थे. उसके बाद प्रजा समाजवादी पार्टी से 1957 में नैनिताल से ही पहली बार सांसद चुने गये. एनडी तिवारी 1963 में भारतीय कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए.
गौरतलब हो कि एनडी तिवारी तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे हैं. उन्हें कई बार केंद्र में मंत्री पद भी दिया गया. उनका नाम प्रधानमंत्री पद के लिए भी आगे किया गया था लेकिन उनकी जगह पी वी नरसिंहराव को देश का प्रधानमंत्री बनाया गया.
1994 में एनडी तिवारी ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था और अपनी अलग पार्टी ऑल इंडिया इंदिरा कांग्रेस बना लिया था. लेकिन सोनिया गांधी के कार्यकाल में फिर से कांग्रेस में शामिल हो गये. 19 अगस्त 2007 को आंध्र प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया. उन्होंने 22 अगस्त को शपथ ग्रहण लिया. लेकिन सेक्स स्कैंडल में नाम आने के बाद उन्हें राज्यपाल पद से 26 दिसम्बर 2009 को इस्तीफा देना पड़ा.