32.1 C
Ranchi
Thursday, March 28, 2024

BREAKING NEWS

Trending Tags:

चांद को चूमने की जिद है हमारी, बुलंद हौसले के साथ मिशन में जुटे इसरो के वैज्ञानिक

बेंगलुरु : चंद्रयान-2 के लैंडर ‘विक्रम’ का चांद पर उतरते समय इसरो से संपर्क भले ही टूट गया हो, पर चांद के दक्षिणी ध्रुव को चूमने की भारत की जिद कायम है. इसरो के वैज्ञानिकों ने हिम्मत नहीं हारी है. बुलंद हौसले के साथ मिशन में जुटे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित पूरा देश उनकी […]

बेंगलुरु : चंद्रयान-2 के लैंडर ‘विक्रम’ का चांद पर उतरते समय इसरो से संपर्क भले ही टूट गया हो, पर चांद के दक्षिणी ध्रुव को चूमने की भारत की जिद कायम है. इसरो के वैज्ञानिकों ने हिम्मत नहीं हारी है. बुलंद हौसले के साथ मिशन में जुटे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित पूरा देश उनकी जिद को सलाम कर रहा है.

प्रधानमंत्री ने कहा कि हताश होने की जरूरत नहीं है. दूसरी तरफ शनिवार को देशवासियों की उम्मीदें उस वक्त और जवां हो गयीं, जब इसरो चीफ के सिवन ने बताया कि लैंडर से दोबारा संपर्क साधने की कोशिश जारी है़ अगले 14 दिनों तक हम पूरी कोशिश करेंगे. सिवन ने कहा कि लैंडर विक्रम से संपर्क टूटना कोई झटका नहीं है़ हमारा मिशन अपने लक्ष्य में लगभग 95 फीसदी सफल रहा.
चंद्रयान-2 में आयी दिक्कत का कोई असर दूसरे मिशन पर नहीं पड़ेगा. इससे पहले इसरो के कंट्रोल सेंटर से देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि हमें अपने वैज्ञानिकों पर गर्व है. वैज्ञानिकों के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि ये वो लोग हैं, जो मां भारती के लिए, उसकी जय के लिए जीते हैं. मां भारती के लिए जूझते हैं.
मां भारती के लिए जज्बा रखते हैं. मां भारती का सर ऊंचा हो, इसके लिए पूरा जीवन खपा देते हैं. मिशन में आयी बाधा के बावजूद हमारे वैज्ञानिक अडिग हैं. चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने का सपना पूरा होगा. वैज्ञानिक रूकेंगे नहीं. ऑर्बिटर चक्कर लगा रहा है और यह खुद में ऐतिहासिक उपलब्धि है.
इसरो ने कभी हार नहीं मानी मंगल पर भी गाड़ा था झंडा
पीएम मोदी ने वैज्ञानिकों से कहा कि इसरो कभी हार मानने वाला नहीं है. ये आप लोग ही हैं, जिन्होंने अपने पहले प्रयास में ही मंगल ग्रह पर देश का झंडा गाड़ा था. दुनिया को चांद पर पानी की जानकारी देने वाले भी आप ही हैं. हमारे हजारों वर्षों का इतिहास ऐसे उदाहरणों से भरे हुए हैं, जब शुरुआती रुकावटों के बावजूद हमने ऐतिहासिक सिद्धियां हासिल की हैं.
रुकावटों से हौसला और मजबूत होगा. आज चंद्रमा को छूने की हमारी इच्छाशक्ति और दृढ़ हुई है, संकल्प और प्रबल हुआ है. आप लोग मक्खन पर नहीं, पत्थर पर लकीर करने वाले लोग हैं.
सफलता
ऑर्बिटर सात साल तक चांद के रहस्यों से उठायेगा पर्दा
मिशन मून-2 अपने ज्यादातर उद्देश्यों में कामयाब रहा है, क्योेंकि ऑर्बिटर पहले ही चांद की कक्षा में स्थापित हो चुका है. वह चांद की विकास यात्रा, सतह की संरचना, खनिज और पानी की उपलब्धता आदि के बारे में हमारी समझ को और बेहतर बनाने में मदद करेगा. यह करीब सात सालों तक ऑपरेशनल रहेगा और इस दौरान चांद के रहस्यों से पर्दा उठाने में मदद करता रहेगा. इससे पूरी दुनिया लाभान्वित होगी.
बढ़ा हौसला
चंद्रयान-2 मिशन के इसरो केंद्र से संपर्क टूट जाने के बाद भी दुनिया भर में इसरो के वैज्ञानिकों की जम कर तारीफ हो रही है. अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स से लेकर ब्रिटिश अखबार द गार्जियन तक सभी ने चंद्रयान-2 को प्रमुखता से स्थान दिया और इसे अब तक का सबसे महत्वाकांक्षी मिशन बताया है. कहा कि भारतीय वैज्ञानिक साहसी हैं.
बढ़ते कदम
चंद्रयान-2 के बाद अब मिशन गगनयान
इसरो ने स्पष्ट किया कि चंद्रयान-2 का अन्य मिशन पर प्रभाव नहीं नहीं पड़ेगा. दूसरे अभियान तय समय पर होंगे. भारत 2022 के लिए मिशन गगनयान पर काम कर रहा है.
इस मिशन का मकसद अंतरिक्ष यात्री को अंतरिक्ष में भेजना और उनकी सुरक्षित वापसी कराना है. इसरो 2022 तक तीन भारतीयों को अंतरिक्ष में भेजने की योजना बना रहा है.
ऐसी रही लैंडर विक्रम की लैंडिंग
शनिवार तड़के 1.38 बजे जब 30 किलोमीटर की ऊंचाई से 1,680 मीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से 1,471 किलोग्राम का विक्रम चंद्रमा की सतह की ओर बढ़ना शुरू किया, तब तक सबकुछ ठीक था.
1 शनिवार तड़के 1.38 बजे जब 30 किलोमीटर की ऊंचाई से 1,680 मीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से 1,471 किलोग्राम का विक्रम चंद्रमा की सतह की ओर बढ़ना शुरू किया, तब तक सबकुछ ठीक था.
2 इसरो के टेलीमेट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क केंद्र के स्क्रीन पर देखा गया कि विक्रम अपने निर्धारित पथ से थोड़ा हट गया और उसके बाद संपर्क टूटा
3 लैंडर ने सफलतापूर्वक अपना रफ ब्रेक्रिंग चरण को पूरा किया और यह अच्छी गति से सतह की ओर बढ़ रहा था.
नीचे उतरते समय लैंडर का थ्रस्टर्स संभवत: बंद हो गया और वह दुर्घटनाग्रस्त हो गया होगा, इस वजह से इसरो से संपर्क टूट गया
मिशन काे सिर्फ 5 प्रतिशत का नुकसान
मिशन को सिर्फ 5% (लैंडर विक्रम और प्रज्ञान रोवर) नुकसान हुआ है
चंद्रयान-2 मिशन 95% उद्देश्यों में सफल, क्योंकि ऑर्बिटर सही है़
ऑर्बिटर अब भी चंद्रमा का सफलतापूर्वक चक्कर काट रहा है
ऑर्बिटर चंद्रमा की कई तस्वीरें लेकर इसरो को भेजेगा
इससे चांद के अनसुलझे रहस्यों से पर्दा उठेगा
दो सवालों का ढूंढ़ा जा रहा जवाब
इसरो के वैज्ञानिक यह पता कर रहे हैं कि चांद की सतह से 2.1 किमी ऊंचाई पर लैंडर विक्रम अपने तय मार्ग से क्यों और कैसे भटका.
भविष्य में विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर कितना काम करेंगे इसका पता करने के लिए डेटा एनालिसिस किया जा रहा है.
60 साल में 109 चंद्र मिशन, 61 सफल
1958: 17 अगस्त को अमेरिका का पहला चंद्र अभियान रहा था असफल, मई 1966 में 15वें मिशन में मिली सफलता.
1966: जनवरी में रूस के लूना 9 मिशन ने पहली बार चंद्रमा को छुआ, पहली बार मिलीं चंद्रमा की सतह की तस्वीरें.
1969 : अपोलो 11 अभियान के जरिये इंसान ने पहली बार चांद पर रखा कदम, नील आर्मस्ट्रांग ने की थी अगुआई.
1958-1979 तक केवल अमेरिका और रूस ने ही चंद्र मिशन शुरू किये थे. इन 21 वर्षों में दोनों देशों ने 90 मिशन शुरू किये, इसके बाद जापान, यूरोपीय संघ, चीन, भारत और इस्राइल ने भी इस क्षेत्र में कदम रखा.
इसरो की उपलब्धियों पर पूरे देश को गर्व है. उतार-चढ़ाव तो जीवन का हिस्सा है. इसरो को सफलता जरूर मिलेगी. ढेर सारी शुभकामनाएं.
रघुवर दास, मुख्यमंत्री, झारखंड
You May Like

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

अन्य खबरें