नयी दिल्ली : भारत सरकार ने संयुक्त राष्ट्र संघ के सैन्य पर्यवेक्षकों को दिल्ली ऑफिस खाली करने का नोटिस दिया है. नोटिस में यह कहा गया है कि वे सरकार द्वारा प्रदत्त बंगले को खाली कर दें. गौरतलब है कि कश्मीर मामले को लेकर युद्ध विराम पर निरीक्षण के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ के सैन्य पर्यवेक्षकों का एक समूह दिल्ली में रह रहा था.
भारत सरकार का मानना है कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और वे इस मामले में किसी बाहरी हस्तक्षेप को बर्दाश्त नहीं करेंगे. यहां तक कि सरकार को इस मामले में संयुक्त राष्ट्र के सैन्य पर्यवेक्षकों का हस्तक्षेप भी पसंद नहीं है. गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र के पर्यवेक्षकों का यह समूह 1949 से भारत और पाकिस्तान में रह रहा था, जब दोनों देशों के बीच पहला युद्ध हुआ था.
भारतीय विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को बताया कि सरकार की ओर से संयुक्त राष्ट्र संघ के पर्यवेक्षकों से यह कहा गया कि वे दिल्ली स्थित अपने संपर्क कार्यालय को सौंप दें. गौरतलब है कि भारत-पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध के बाद युद्ध विराम पर नजर रखने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने भारत और पाकिस्तान में कार्यालय स्थापित किया था. भारत में जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में और पाकिस्तान के इस्लामाबाद में कार्यालय स्थापित किया था. भारत सरकार का तर्क यह है कि भारत-पाकिस्तान के बीच शिमला समझौता हो जाने के बाद इस मामले में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका काफी सीमित हो गयी है.
बावजूद इसके पाकिस्तान हमेशा से ही कश्मीर मामले में तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की वकालत करता रहा है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि हमने संयुक्त राष्ट्र के पर्यवेक्षकों के समक्ष अपनी चिंता जाहिर कर दी है और उन्हें दिल्ली स्थित कार्यालय छोड़ने का नोटिस भी दे दिया है.
संयुक्त राष्ट्र के दिल्ली ऑफिस के इंजार्च निकोलस डायज का कहना है कि हमें ऑफिस छोड़ने का नोटिस तब मिला जब मई में नरेंद्र मोदी की सरकार बनी. हालांकि नोटिस में यह नहीं बताया गया है कि आखिर क्यों उन्हें ऑफिस छोड़ने का आदेश दिया गया था. गौरतलब है कि 1972 के बाद भारत ने संघ के पर्यवेक्षकों के सामने कोई शिकायत दर्ज नहीं करायी है. लेकिन पाकिस्तान हमेशा ही युद्धविराम उल्लघंन की शिकायत करता रहा है.