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भारत में बढ़ रही है बेरोजगारों की फौज

नयी दिल्ली : भारत में बेरोजगारी बड़ी समस्या है. यह समस्या दिनोंदिन गंभीर होती जा रही है. वर्ष 2011 की जनगणना के आंकड़े इसकी पुष्टि करते हैं. जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक, 15-24 आयु वर्ग के लगभग 20 फीसदी से अधिक यानी 4.7 करोड़ भारतीय युवा बेरोजगार हैं. इसमें 2.6 करोड़ पुरुष और 2.1 करोड़ […]

नयी दिल्ली : भारत में बेरोजगारी बड़ी समस्या है. यह समस्या दिनोंदिन गंभीर होती जा रही है. वर्ष 2011 की जनगणना के आंकड़े इसकी पुष्टि करते हैं. जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक, 15-24 आयु वर्ग के लगभग 20 फीसदी से अधिक यानी 4.7 करोड़ भारतीय युवा बेरोजगार हैं.

इसमें 2.6 करोड़ पुरुष और 2.1 करोड़ महिला हैं. यह बात भी सामने आयी है कि महिलाएं अब शादी के बाद घर नहीं बैठना चाहतीं. 20-29 आयु वर्ग की काम चाहने वाली महिलाओं की संख्या पुरुषों के बराबर है. लेकिन, काम के मौके दोनों के लिए ही काफी कम हैं. आंकड़े बताते हैं कि रोजगार के मामले में 15- 59 आयुवर्ग की स्थिति सबसे ज्यादा चिंताजनक है. वर्ष में छह महीने तक ही रोजगार पानेवालों सहित इस आयुवर्ग के 14.5 प्रतिशत लोग नौकरी तलाशते रहे. इसमें 25-29 आयु वर्ग की बेरोजगारी दर करीब 18 प्रतिशत जबकि 30-34 आयु वर्ग के छह प्रतिशत अर्थात 1.2 करोड़ लोगों को रोजगार नहीं मिला. अगर 30-40 आयु वर्ग की बात करें, तो छह फीसदी लोग बेरोजगार हैं.

चौंकानेवाला तथ्य यह है कि बड़ी आबादी ऐसी है, जिन्हें साल में तीन से छह महीने ही काम मिलता है. पिछले दशक में आर्थिक विकास दर काफी ऊंची रही. ग्रामीण क्षेत्रों में न सिर्फ दैनिक मजदूरी बढ़ी, बल्कि ग्रामीण क्षेत्र के लोगों की आय भी बढ़ी है. फिर भी बेरोजगारी कम नहीं हुई. रिपोर्ट में बताया गया है कि 4.7 करोड़ बेरोजगारों में 29 साल की उम्र तक हर तीन में एक बेरोजगार ग्रेजुएट है.

वैश्विक रिपोर्ट में भारत : यूएन के मुताबिक, विश्व में कुल 20 करोड़ बेरोजगारों की युवाओं की संख्या सर्वाधिक है. सबसे खराब हालत दक्षिण अफ्रीका की है. वहीं विश्व श्रम संगठन कहता है कि भारत में पिछले पांच सालों में जॉबलेस ग्रोथ हुआ है. अच्छी शिक्षा के बावजूद युवाओं को नौकरी नहीं मिल रही. भारत में 15-59 आयु वर्ग के मात्र 21.2 फीसदी लोग वेतन पर काम करते हैं. संगठित क्षेत्र के मुकाबले असंगठित क्षेत्र का दायरा बढ़ रहा है. इस साल बेरोजगारी दर 3.8 फीसदी होने का अनुमान व्यक्त किया गया है, जो पिछले साल 3.7 फीसदी थी. अभी भी असंगठित क्षेत्र और कृषि ही रोजगार का बड़ा साधन है.

दलितों और आदिवासियों की स्थिति नाजुक: सामान्य जनसंख्या के मुकाबले 15-59 आयु वर्ग के दलितों की बेरोजगारी दर 18 प्रतिशत है, जबकि आदिवासियों में 19 फीसदी. आंकड़ों के मुताबिक, 15-34 आयु वर्ग की 21 प्रतिशत दलित आबादी और 22 प्रतिशत आदिवासी नौकरी से महरूम हैं.

महिलाओं की स्थिति भी बदतर: अधिकांश युवतियों ने पारिवारिक जिम्मेदारियों और सामाजिक दबाव की वजह से नौकरी को तरजीह नहीं दी, लेकिन 20-29 आयु वर्ग की 20 प्रतिशत से अधिक शिक्षित और बेहतर जीवन पाने की उम्मीद में पाले युवा पुरुषों और महिलाओं को रोजगार नहीं मिल पाया. शहरी क्षेत्रों में 15-24 आयु वर्ग के लोगों की बेराजगारी दर 18 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्रों में 21 फीसदी रही. शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में इसी आयु वर्ग वर्ग की 17 फीसदी और 20 फीसदी महिलाओं को नौकरी नहीं मिली.

* वरिष्ठ नागरिकों की हालत और भी खराब

आंकड़ों के मुताबिक, सामाजिक सुरक्षा के अभाव में वरिष्ठ नागरिक रिटायर्ड होने के बाद भी काम करने को मजबूर हैं. 60 वर्ष के आयुवाले लगभग 3.3 करोड़ लोग आज जीविकोपार्जन के लिए काम कर रहे हैं. इसके अलावा एक करोड़ बुजुर्ग दैनिक मजदूरी करने को मजबूर हैं, और तो और, 80 वर्ष की उम्र के 18.5 लाख लोग भी पेट भरने के लिए काम कर भरने रहे हैं. इसमें 6.5 लाख दैनिक मजदूरी करते हैं.

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