नयी दिल्ली : बीजेपी देश में भ्रष्टाचार को चुनावी मुद्दा बनाना चाहती है लेकिन बतौर राजनीतिक पार्टी आरटीआई के दायरे में आना उसे मंजूर नहीं है. वहीं राहुल गांघी अपनी हर सभा में आरटीआई को लाने की दुहाई देते हैं लेकिन अपनी पार्टी को इसके दायरे से बाहर रखना चाहते हैं.
राजनीतिक पार्टियों को आरटीआई के दायरे में लाने के फैसले पर कांग्रेस और बीजेपी साथ आ गई है. कांग्रेस को लग रहा है कि केंद्रीय सूचना आयोग का यह फैसला लोकतंत्र पर चोट है. कांग्रेस महासचिव जर्नादन द्विवेदी ने इस फैसले का जोरदार विरोध करते हुए कहा कि यह लोकतंत्र पर आघात है.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस फैसले का विरोध करती है और उसे मंजूर नहीं है. शुरू में बीजेपी सीआईसी (सेंट्रल इन्फर्मेशन कमिशन) के इस फैसले पर कुछ भी खुलकर बोलने से परहेज करती रही. लेकिन जैसे ही कांग्रेस ने जोरदार तरीके से इस फैसले का विरोध करना शुरू किया कि बीजेपी का रुख भी साफ हो गया. बीजेपी के प्रवक्ता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि राजनीतिक पार्टियां चुनाव आयोग के प्रति जिम्मेदार हैं न कि केंद्रीय सूचना आयोग के प्रति. बीजेपी ने कहा कि सीआईसी का यह फैसला लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है.
नकवी ने कहा कि इस फैसले से पार्टियों को अपनी बैठकों के चाय पानी का खर्च, राजनीतिक सभाओं पर आने वाला खर्च और पार्टी की आंतरिक बैठकों की जानकारी देनी होगी. उन्होंने कहा कि इस फैसले से चुनाव आयोग और सूचना आयोग के अधिकारों में टकराव होगा और भ्रम की स्थिति पैदा होगी.
जब भी चुनाव आयोग राजनीतिक पार्टियों से जानकारियां मांगता है तो उसे जानकारियां दी जाती हैं. लेकिन यह मुमकिन नहीं है कि पार्टियां अपने कार्यालयों में सूचना अधिकारी बैठाएं और रोजाना हजारों आवेदनों पर जानकारियां दें. पार्टियां अगर गड़बड़ करती हैं तो जनता उन्हें सीधे ही सजा सुना देती है. ऐसे में सीआईसी के फैसले को लेकर सरकार को सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए. जेडी(यू) और सीपीआई(एम) ने भी इस फैसले का विरोध किया है.