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मोदी जी को ब्राजील से न्योता

गांव से बहरे सिवान में मैदान के दू कोना पर बांस गाड़ कर फुटबाल खेलने वाले लड़के आजकल खुश हैं काहें से की अखबार में आया है की ब्राज़ील के राष्ट्रपति ने मोदी जी को बुलाया है. अच्छे दिन आने का वादा करके मोदी जी तो आ गए हैं लेकिन दिन अभी उस हिसाब से […]

गांव से बहरे सिवान में मैदान के दू कोना पर बांस गाड़ कर फुटबाल खेलने वाले लड़के आजकल खुश हैं काहें से की अखबार में आया है की ब्राज़ील के राष्ट्रपति ने मोदी जी को बुलाया है. अच्छे दिन आने का वादा करके मोदी जी तो आ गए हैं लेकिन दिन अभी उस हिसाब से नहीं आ रहे हैं.

जब सचिन को भारत रत्न मिला था तब बहुत से लोगों को हाकी की याद आ गई थी और दद्दा ध्यानचंद को न्याय दिलाने के लिए लोग उतावले हो गए थे, लगता था की हाकी क्रांति होने ही वाली है लेकिन होते होते रह गयी थी और एकबार फिर कभी फिक्सिंग तो कभी आइपीएल की चर्चा के चलते लोग क्रि केट के ही दिवाने बने रहे. आजकल फुटबाल विश्वकप चालू हो गया है, जहां बिजली मिलती है वहां कुछ शौकीन लोग मैच देख रहे हैं. बड़े शहरों में तो बाज़ार हर चीज को भुनाना चाहता है इसलिए

फुटबाल का भी फीवर शापिंग मॉल में चल ही रहा है. नानी, पेपे, रोनाल्डो, मेसी और ब्राज़ील , मेक्सिको लिखी जिर्सयां बड़े लोग अपने बच्चों के लिए खरीद रहे हैं. हालांकि बनाना तेंदुलकर ही चाहते हैं लेकिन फिलहाल वक्त की बात है की

चर्चा फुटबाल की हो वर्ना पिछड़े कहे जायेंगे.
शहरों में अब लोग फुटबाल खेलते ही नहीं क्योंकि बच्चों के भीतर उतनी जान ही नहीं बची है की जोर लगा सकें. वो तो भला हो विश्वकप का की उसके चलते लोग देख रहे हैं. हां गांव गिरांव में अभी भी फुटबाल और वॉलीबाल दिल से खेला जाता है क्योंकि इसमें अधिक टिटिम्मा नहीं है और देहात के बच्चों के पास दम भी है. एक जगह देखा कि लोग बात कर रहे थे की अगर मोदी जी जाते हैं ब्राज़ील तो हिन्दुस्तान के फुटबाल का भला होगा क्योंकि खाली गोवा के विधायक जाते तो उतना भला नहीं होता लेकिन एक पुराने गंवई खिलाड़ी ने कहा की नेता जी लोग का भला कर सकते हैं.

पुराने ज़माने को याद करते हुए उन्होंने कहा की बलिया जिला के एक नेता जी मंत्री बन गए और जब अपने गांव के टूर्नामेंट में आये और पुरस्कार वितरण के बाद भाषण देना पड़ा तब ऊ सब गुड़गोबर कर बैठे. आयोजक सोचने लगे की इस मंत्री से बढ़िया तो स्कूल के चौकीदार को ही बुला लिया गया होता क्योंकि झल्लू चौकीदार फेंटा बांध कर फुटबाल भी खेलते हैं और खेल समझते हैं. मंत्री जी ने खेल के विकास के नाम पर कहा की एतने खिलाड़ी एक ही गेंदा के पीछे भागता रहता है जो खेल के हित में ठीक नहीं है. विपक्षी दलों ने सत्ता में रहते हुए कभी खेल के विकास पर ध्यान नहीं दिया. अब जबकि जनता के भले के लिए नयी सरकार आ गयी है तब लोगों को चिंता करने का जरूरत नहीं है. हर क्षेत्र में विकास किया जाएगा और कम से कम सरकार इतना तो कर ही सकती है की फुटबाल के मैदान में जितने खिलाड़ी हों सबको एक एक गेंदा दे दिया जाएगा ताकि लोग आराम से गोल मार सकें.

अब ऐसा भाषण सुन कर कौन न माथा पीटने लगे लेकिन मंत्री जी से मैदान के सुन्दरीकरण के लिए भी फंड लेना था इस नाते आयोजक और खिलाड़ी सभी तालियां बजाने लगे. चलिए हम मानते हैं की मोदी जी तो ऐसा नहीं कह सकते क्योंकि उनको तमाम खेलों की समझ है इसलिए उनको ब्राज़ील हो आना चाहिए, जहां अपने देश के एक एक जिले की आबादी वाले देश भी विश्वकप के लिए लड़ रहे हैं और हम फुटबाल में अपनी उपलिब्धयों की चर्चा करते हैं तो पाते हैं की नेपाल और बांग्लादेश भी पीट देते हैं.

लेकिन खाली मोदी जी क्या कर सकते हैं,वो तो पहले ही कह चुके हैं की करना तो आपको है. अब फैसला कौन करे क्योंकि यहां तो बच्चे पैदा होते ही बैट बाल मांगते हैं और प्लास्टिक के बल्ले पर गेंद टकरा जाए तब मां बाप भी खुश हो जाते हैं की बबुआ में तेंदुलकर बनने का लच्छन दिखने लगा है. छक्का की जगह गोल पर ताली बजाने वाले अपने देश में खोजने से भी नहीं मिलते भाई.

मलंग

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