नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने पटना के एक व्यावसायिक एवं रिहाइशी परिसर के कुछ हिस्से को गिराने के आदेश पर आज रोक लगा दी. इमारत का हिस्सा गिराने के खिलाफ इसके निवासियों ने याचिका दायर कर दावा किया था कि उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया.
न्यायमूर्ति ज्ञान सुधा मिश्र और न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर की अवकाशकालीन खंडपीठ ने इसके साथ ही पटना नगर निगम, बिहार सरकार और राज्य पुलिस को नोटिस जारी करके सभी से जवाब तलब किया है. न्यायालय ने इस मामले में रिहाइशी परिसर के निर्माता साकेत हाउसिंग लि को भी एक पक्षकार बनाने का निर्देश दिया है.
पटना के फ्रेजर रोड पर स्थित बंदर बगीचा में बने संतोषा परिसर के निवासियों ने इस याचिका में दावा किया है कि शीर्ष अदालत ने उन्हें अपना पक्ष रखने का अवसर दिये बगैर ही सात मई, 2013 को उनका भवन गिराने का आदेश दे दिया. इस इमारत के फ्लैट मालिकों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रवि शंकर प्रसाद और अजित कुमार सिन्हा का कहना था कि पटना नगर निगम को इस भवन के किसी भी हिस्से को गिराने के लिये कोई दंडात्मक कदम नहीं उठाना चाहिए.
इस परिसर में 80 बच्चों सहित दो सौ से अधिक लोग रहते हैं और पटना क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण ने भवन नियमों के उल्लंघन के आरोप में इसे गिराने के लिये चिन्हित किया है. भवन निर्माता ने प्राधिकरण के निर्णय के खिलाफ शीर्ष अदालत तक कानूनी लड़ाई लड़ी. शीर्ष अदालत ने सात मई को अपने आदेश में इस इमारत के अनधिकृत हिस्से को दो महीने के भीतर गिराने का निर्देश दिया था. फ्लैट के मालिकों ने शीर्ष अदालत में दावा किया है कि वे इनमें एक दशक से भी अधिक समय से रह रहे हैं और इन्हें खरीदते समय उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि यह इमारत भवन नियमों के उल्लंघन के आरोप में पटना क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण के निशाने पर है.