-इशरत मामला-
अहमदाबाद : विशेष सीबीआई अदालत ने 2004 के इशरत जहां फर्जी मुठभेड़ मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी को गुजरात के आईपीएस अधिकारी डी जी वंजारा की गिरफ्तारी आज की अनुमति दे दी.
वंजारा 2005 के सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ और उनकी पत्नी कौसर बी की हत्या के मामले में भी मुख्य आरोपियों में से एक हैं. वंजारा को कल मुंबई की एक जेल से यहां साबरमती सेंट्रल जेल लाया गया. मुंबई की अदालत ने कल दंड प्रक्रिया संहिता :सीआरपीसी: की धारा 36 के तहत वंजारा को कड़ी सुरक्षा के बीच अहमदाबाद जेल स्थानांतरित करने का आदेश दिया था. यह आदेश अहमदाबाद की सीबीआई अदालत द्वारा इशरत जहां मामले में जांच एजेंसी को उन्हें हिरासत में देने के आदेश के बाद दिया गया.
इस मामले में जांच अधिकारी और सीबीआई के डीएसपी जी कलाईमणि ने आज सीबीआई अदालत के अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एसीजेएम) के समक्ष आवेदन दिया, जिसमें वंजारा की गिरफ्तारी की अनुमति देने का अनुरोध किया गया. अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एम एस एच खुतवाड ने सीआरपीसी की धारा 57 के तहत अनुमति देते हुए सीबीआई को निर्देश दिया कि वह आरोपी को कड़ी सुरक्षा प्रदान करे और उन्हें घर का खाना खाने की अनुमति दे.
गिरफ्तारी के बाद एजेंसी वंजारा को सीबीआई अदालत के समक्ष 24 घंटे के भीतर पेश करेगी और उनकी हिरासत मांगेगी. सीबीआई की शिकायत के अनुसार वंजारा ने डिटेक्शन ऑफ क्राइम ब्रांच (डीसीबी), अहमदाबाद के दल का नेतृत्व किया था. यह दल 15 जून 2004 को शहर के बाहरी हिस्से में इशरत जहां, जावेद शेख उर्फ प्राणोश पिल्लै, दो कथित पाकिस्तानी नागरिकों जीशान जौहर और अमजद अली राणा की हत्या में शामिल था.
गुजरात पुलिस ने तब दावा किया था कि ये लोग मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश का हिस्सा थे. कथित फर्जी मुठभेड़ के बारे में इशरत जहां की मां की शिकायत के बाद गुजरात उच्च न्यायालय ने एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया था, जिसने कहा था कि यह मुठभेड़ फर्जी था. इस रिपोर्ट के बाद उच्च न्यायालय ने एक दिसंबर 2011 को मामला सीबीआई को सौंप दिया था और वह जांच की निगरानी कर रहा है.
सीबीआई ने गुजरात के छह पुलिसकर्मियों आईपीएस अधिकारी जी एल सिंघल, तरुण बारोट, जे जी परमार, भरत पटेल, अंजू चौधरी और एन के अमीन को इस मामले में गिरफ्तार किया है. अमीन के अलावा सभी पांच आरोपियों को इस मामले में जमानत मिल गई है क्योंकि सीबीआई उनकी गिरफ्तारी के 90 दिन के भीतर आरोप पत्र दायर नहीं कर सकी थी.