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बढ़ रहा साइबर अपराध, एथिकल हैकरों की है डिमांड, जानें पाठ्यक्रम के बारे में
रांची : इंटरनेट की मायावी दुनिया जिस रफ्तार से तरक्की कर रही है. उसने इंफॉरमेशन टेक्नोलॉजी पर आधारित सुरक्षा से जुड़ी चिंताएं भी बढ़ायी है. दुनिया के किसी न किसी कोने में नेटवर्क, वेबसाइट और ई-मेल अकाउंट्स की सुरक्षा दांव पर लगी होती है. रफ्तार के साथ लोग लगभग हर दिन इस साइबर अपराध के […]
रांची : इंटरनेट की मायावी दुनिया जिस रफ्तार से तरक्की कर रही है. उसने इंफॉरमेशन टेक्नोलॉजी पर आधारित सुरक्षा से जुड़ी चिंताएं भी बढ़ायी है. दुनिया के किसी न किसी कोने में नेटवर्क, वेबसाइट और ई-मेल अकाउंट्स की सुरक्षा दांव पर लगी होती है. रफ्तार के साथ लोग लगभग हर दिन इस साइबर अपराध के शिकार हो रहे हैं. साइबर आधारित इन समस्याओं में व्यक्ति या संस्था के कंप्यूटर सिस्टम में सेंध लगाकर संवेदनशील डाटा चुराने से लेकर पासवर्ड चोरी करने, भद्दे ई-मेल भेजने और ई-मेल अकाउंट को हैक करने जैसी घटनाएं शामिल होती हैं.
इंटरनेट से जुड़े कंप्यूटरों से सूचनाओं को अवैध ढंग से प्राप्त करने वालों को हैकर कहा जाता है. जब यही काम कंप्यूटर सिस्टम के सुरक्षा उपायों को जांचने और उसे पुख्ता बनाने के उद्देश्य से किया जाता है, तो उसे एथिकल हैकिंग कहते हैं. इस कार्य को करने वाले पेशेवर एथिकल हैकर के नाम से जाने जाते हैं. साइबर अपराधों की बढ़ती संख्या ने एथिकल हैकरों की मांग बढ़ा दी है. ऐसे में संभावनाओं के द्वार भी काफी खुले हुए हैं.
एथिकल हैकर का काम
इन पेशेवरों को व्हाइट हैट्स या पेनिशन टेस्टर के नाम से भी जाना जाता है. कंप्यूटर और नेटवर्क से संबंधित तकनीकों में इन्हें विशेषज्ञता प्राप्त होती है. इनका काम अपने नियोक्ता (कंप्यूटर सिक्योरिटी उत्पाद बनाने वाली कंपनी) के लिए किसी निर्धारित कंप्यूटर सिस्टम पर हमला करना होता है, ताकि सिस्टम की उन कमियों का पता लगाया जा सके, जिन्हें तलाशकर हैकर साइबर अपराधों को अंजाम देते हैं.
एक प्रकार से एथिकल हैकर भी हैकरों (साइबर अपराधी) जैसा ही काम करते हैं, लेकिन उनका उद्देश्य किसी कंप्यूटर सिस्टम को नुकसान पहुंचाने की जगह उसे पहले से ज्यादा सुरक्षित बनाना होता है. इंटरनेट पर बढ़ती निर्भरता के कारण एथिकल हैकर आइटी सिक्योरिटी इंडस्ट्री की जरूरत बन गये हैं.
पर्याप्त हैं रोजगार के अवसर
कंपनियां अपने नेटवर्क में मौजूद खामियों को खोजने के लिए एक ही पेशेवर की मदद लेती हैं. इन पेशेवरों की सरकारी क्षेत्र के संस्थानों में भी काफी डिमांड है. सेना, पुलिस बलों, फॉरेंसिक प्रयोगशालाओं और रक्षा अनुसंधान संगठनों में विशेष रूप से मदद ली जाती है. जासूसी एजेंसियों में भी अवसर हैं.
यह है योग्यता
कंप्यूटर प्रोग्रामिंग का ज्ञान जरूरी होता है. इसलिए कंप्यूटर साइंस, आइटी या कंप्यूटर इंजीनियरिंग में बैचलर डिग्री आवश्यक है. सी, सी प्लस प्लस, जावा आदि प्रोग्रामिंग लैंग्वेज और ऑपरेटिंग सिस्टममसलन विंडोज या लिनक्स की जानकारी चाहिए.
ये हैं पाठ्यक्रम
सर्टिफिकेट कोर्स इन साइबर लॉ
सीसीएनए सर्टिफिकेशन
सर्टिफाइड एथिकल हैकर
सर्टिफाइड इंफॉरमेशन सिस्टम सिक्योरिटी प्रोफेशनल
एमएससी साइबर फॉरेंसिक्स एंड इंफॉरमेशन सिक्योरिटी
पीजी डिप्लोमा इन डिजिटल एंड साइबर फॉरेंसिक्स
पीजी डिप्लोमा इन साइबर लॉ
संबंधित संस्थान
एनआइइएलआइटी
इंडियन स्कूल ऑफ एथिकल हैकिंग
तिलक महाराष्ट्र यूनिवर्सिटी
•आइएमटी गाजियाबाद
• इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉरमेशन सिक्योरिटी
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