नयी दिल्ली : रेल संरक्षा आयुक्त (सीआरएस) अमृतसर हादसे की जांच नहीं करेंगे जिसमें शुक्रवार को दशहरा मेला देखने आये 59 लोग एक ट्रेन से कुचल गए थे.
रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष अश्विनी लोहानी ने कहा कि यह कोई रेल दुर्घटना नहीं बल्कि रेल पटरियों पर अनधिकृत प्रवेश का एक मामला है. रेल संरक्षा आयोग नागर विमानन मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में काम करता है और सभी रेल दुर्घटनाओं की अनिवार्य जांच करता है जिसमें फाटक रहित रेल समपार पर होने वाली दुर्घटनाएं, ट्रेन के पटरी से उतरने और पुल गिरने के बाद होने वाली दुर्घटनाएं शामिल हैं.
रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष अश्विनी लोहानी ने कहा, आयोग रेल दुर्घटनाओं की जांच करता है. यह एक ऐसा हादसा था जिसमें लोगों ने रेल पटरी पर अनधिकृत प्रवेश किया और यह कोई दुर्घटना नहीं है. रेलवे ने कहा है कि यह कोई उसकी गलती नहीं थी क्योंकि उसे दशहरा कार्यक्रम के बारे में कोई सूचना नहीं थी.
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इधर रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने अमृतसर में दशहरा मेला के दौरान पटरी पर आए लोगों को रौंदने वाली ट्रेन के चालक के खिलाफ कोई भी दंडात्मक कारवाई से इनकार कर दिया है.
शनिवार को सिन्हा ने कहा कि रेलवे की तरफ से कोई लापरवाही नहीं थी. सिन्हा ने इसके साथ ही लोगों को भविष्य में रेल पटरियों के पास ऐसा कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं करने की सलाह दी.
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रेलवे ने कहा है कि उसकी कोई गलती नहीं थी क्योंकि दशहरा कार्यक्रम के बारे में उसे कोई सूचना नहीं दी गई थी. उन्होंने कहा, दुर्घटना में रेलवे की कोई गलती नहीं थी. हमारी ओर से कोई चूक नहीं थी और ट्रेन चालक के खिलाफ कोई कार्रवाई शुरू नहीं की जाएगी.
लोगों को भविष्य में रेल पटरी के किनारे ऐसे कार्यक्रम आयोजित करने से परहेज करना चाहिए. मेरा मानना है कि यदि ऐहतियात बरती गई होती तो दुर्घटना टाली जा सकती थी. उन्होंने कहा कि जहां कहीं भी ऐसे कार्यक्रम होते हैं, संबंधित जिला प्रशासन अनुमति देता है.
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यह पूछे जाने पर कि क्या चालक के खिलाफ एक जांच का आदेश दिया जाएगा, मंत्री ने कहा कि चालकों को इस बारे में विशिष्ट निर्देश दिये जाते हैं कि ट्रेन को कहां पर धीमा करना है. एक घुमाव था. हो सकता है कि चालक ने उसके चलते न देखा हो। हम किस बारे में जांच का आदेश दें? ट्रेनें तेज गति से ही चलती हैं.
पूर्व विधायक नवजोत कौर सिद्धु,जो उस दशहरा कार्यक्रम में मुख्य अतिथि थीं, पर विपक्ष के हमले के बारे में पूछे जाने पर सिन्हा ने कहा कि इस मुद्दे पर किसी को भी राजनीति नहीं करनी चाहिए. यह दुखद घटना है.
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फिरोजपुर के मंडल रेल प्रबंधक विवेक कुमार ने कहा कि चालक से पूछताछ की गई है लेकिन उसकी ओर से कोई गलती नहीं मिली है. उसने कहा कि ट्रेन 91 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चल रही थी लेकिन पटरी पर भीड़ देखने के बाद उसने गति कम करके 68 किलोमीटर प्रतिघंटे कर दिया. उन्होंने कहा, जब घटना हुई उस समय लोग रेल लाइन पर थे. अंधेरा और पटाखों की आवाज से लोग ट्रेन की आवाज नहीं सुन पाये.
चालक भीड़ को पहले नहीं देख पाया क्योंकि वहां पर पटरी का एक घुमाव था. चालक ने ब्रेक लगाने का प्रयास किया और 91 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चल रही ट्रेन की गति को कम करने का प्रयास किया लेकिन ट्रेन को रोकने में समय लगता है.
पूछताछ के दौरान चालक ने यह भी कहा कि उसने ट्रेन रोकने का प्रयास किया लेकिन रोक नहीं पाया. इससे पहले रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष अश्विनी लोहानी ने कहा कि यह हादसा दो स्टेशनों- अमृतसर एवं मनवाला के बीच हुआ, न कि रेलवे फाटक पर. लोहानी ने रेलवे कर्मचारियों द्वारा भीड़ जमा होने की जानकारी नहीं देने के बारे में स्पष्टीकरण देते हुए कहा, बीच के रास्ते पर ट्रेनें अपनी निर्धारित गति से चलती हैं और यह उम्मीद नहीं की जाती कि लोग पटरियों पर मौजूद होंगे.
बीच के खंड पर रेल कर्मचारी तैनात नहीं होते हैं. रेलवे फाटक पर कर्मी होते हैं जिनका काम यातायात नियंत्रित करना है. उन्होंने कहा कि गेटमैन वहां से 400 मीटर दूर एक रेल फाटक पर था. उन्होंने यह भी कहा कि अगर ड्राइवर ने आपात ब्रेक लगाए होते तो इससे भी बड़ा हादसा हो सकता था.