नयी दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के बिजली संकट पर आरोप-प्रत्यारोप शुरु हो गया, जहां कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) ने काफी देर तक बिजली की कटौरी के लिए केंद्र की सत्तारुढ़ भाजपा की आलोचना की, वहीं भाजपा ने इस स्थिति के लिए शीला दीक्षित के 15 साल के शासनकाल को जिम्मेदार ठहराया.
राष्ट्रीय राजधानी के अब भी बिजली कटौती से जूझने के बीच कांग्रेस ने भाजपा की आलोचना करते हुए कहा कि केंद्र की सरकार दिल्ली में बिजली की आपूर्ति की जिम्मेदारी से भाग नहीं सकती क्योंकि यहां राष्ट्रपति शासन है.
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली का यह प्रहार केंद्रीय बिजली मंत्री पीयूष गोयल के उस बयान के कुछ घंटे बाद आया जिसमें उन्होंने बिजली क्षेत्र की समस्याएं नहीं हल कर पाने के लिए शीला दीक्षित सरकार की भारी नीतिगत पंगुता और निर्णय लेने में हीलाहवाली को जिम्मेदार ठहराया है.
लवली ने कहा, दिल्ली केंद्रीय शासन के अंतर्गत है और उपराज्यपाल केंद्र के प्रतिनिधि हैं. अतएव दिल्ली में बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करना नरेंद्र मोदी सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी है. ऐसा करने के बजाय वे कांग्रेस पर हमला कर रहे हैं. उससे पहले गोयल ने बिजली संकट हल करने के लिए उपराज्यपाल नजीब जंग, दिल्ली ट्रांसको, पावर ग्रिड कोरपोरेशन और बिजली कंपनियों के वरिष्ठ कार्यकारियों के साथ आपात बैठक की थी.
इसी बीच आप नेता अरविंद केजरीवाल ने भी भाजपा की आलोचना करते हुए ट्विटर पर लिखा, भाजपा न तो बिजली संकट संभाल पा रही है, न ही सरकार बना रही है और न ही चुनाव होने दे रही है. पूरी तरह गैर जिम्मेदार है.
आप नेता मनीष सिसोदिया की अगुवाई में 20 से अधिक आप विधायकों ने पूर्वी दिल्ली में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन के मकान के बाहर प्रदर्शन किया और केंद्र से बिजली आपूर्ति में सुधार के लिए तत्काल कदम उठाने की मांग की.