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विहिप ने राममंदिर, गौहत्या मुद्दों को लेकर इच्छासूची जारी की

नयी दिल्ली: नरेंद्र मोदी सरकार के केंद्र की सत्ता संभालने की तैयारी के बीच भाजपा के सहयोगी संगठन विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने आज एक इच्छासूची जारी की जिसमें राम मंदिर से लेकर गौहत्या तक विभिन्न मुद्दों पर कानून बनाना शामिल है और वह चाहती है कि इनका समाधान संवैधानिक ढांचे में रहकर हो. विहिप […]

नयी दिल्ली: नरेंद्र मोदी सरकार के केंद्र की सत्ता संभालने की तैयारी के बीच भाजपा के सहयोगी संगठन विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने आज एक इच्छासूची जारी की जिसमें राम मंदिर से लेकर गौहत्या तक विभिन्न मुद्दों पर कानून बनाना शामिल है और वह चाहती है कि इनका समाधान संवैधानिक ढांचे में रहकर हो.

विहिप जिन अन्य मुद्दों का समाधान चाहती है उनमें समान नागरिक संहिता भी शामिल है. इसके साथ ही विहिप चाहती है कि ‘‘शाश्वत समग्र संस्कृति’’ की रक्षा के लिए उसकी जरुरी बातों को शैक्षिक पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए. इसके साथ ही विहिप धर्मांतरण पर कानूनी रोक चाहती है.

विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंघल ने यहां आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मोदी के नेतृत्व में भाजपा को जो पूर्ण बहुमत मिला है वह गांधीजी के रामराज्य और सुराज के विचार और सिद्धांतों की सफलता के लिए है. राम मंदिर निर्माण के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में सिंघल ने कहा कि केंद्र में एक मजबूत सरकार बनने के साथ ही वह (मंदिर) निश्चित तौर पर ‘‘मजबूती’’ से बनेगा.

इसके लिए समयसीमा तय करने के लिए जोर डाले जाने पर सिंघल ने कहा कि अधीर होने की कोई जरुरत नहीं है.उन्होंने दावा किया कि ‘‘मंदिर विकास की शुरुआत श्रीराम जन्मभूमि मंदिर तथा सरकार द्वारा अपने हाथ में लिये गए हजारों मंदिरों की स्वायत्तता सुनिश्चित करके होगा.’’ सिंघल ने कई अन्य मुद्दों को सूचीबद्ध किया और कहा कि ये हिंदुत्व से संबंधित हैं और जिन पर भारतीय संविधान के दायरे में काम किया जा सकता है.

उन्होंने कहा कि इन मुद्दों के साथ ही गंगा नदी को प्रदूषण से मुक्त करना और उसका चिरस्थायी प्रवाह सुनिश्चित करना, गोहत्या के खिलाफ कानून, समान आचार संहिता, और ‘‘शाश्वत समग्र संस्कृति’’ की रक्षा के लिए उसकी जरुरी चीजों को शैक्षिक पाठ्यक्रम में शामिल करना तथा धर्मांतरण पर कानूनी रोक मांग है जिन्हें संविधान के जरिये पूरा किया जा सकता है.

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को शपथग्रहण के लिए निमंत्रण के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह ‘‘औपचारिकता’’ है जिसके होने दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत का पडोसी देशों के प्रति अच्छा व्यवहार होना चाहिए.

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