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क्या वाम का किला ध्‍वस्त करने वाले भाजपा के लिए बच चुकी है खतरे की घंटी ? जानें 10 बातें

नयी दिल्ली: भाजपा को 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले जोरदार झटका लगा क्योंकि लोकसभा की उन तीनों सीटों पर उसके उम्मीदवार हार चुके हैं जिनके लिए उपचुनाव हुआ था. इन तीन सीटों में उत्तर प्रदेश में उसका गढ़ रहा गोरखपुर और फूलपुर तथा बिहार में अररिया शामिल है. उत्तर प्रदेश की दो लोकसभा सीट […]

नयी दिल्ली: भाजपा को 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले जोरदार झटका लगा क्योंकि लोकसभा की उन तीनों सीटों पर उसके उम्मीदवार हार चुके हैं जिनके लिए उपचुनाव हुआ था. इन तीन सीटों में उत्तर प्रदेश में उसका गढ़ रहा गोरखपुर और फूलपुर तथा बिहार में अररिया शामिल है. उत्तर प्रदेश की दो लोकसभा सीट की बता करें तो दोनों सीट मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ और डिप्‍टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या के कब्जे में थीं.

भाजपा के लिए यह चौंकाने वाला चुनाव परिणाम त्रिपुरा सहित पूर्वोत्तर के तीन राज्यों में उसकी शानदार जीत के कुछ ही दिन बाद आया है. भाजपा ने त्रिपुरा में वाम दल के किले को ढहाने का काम कुछ दिन पहले ही किया था, जहां वह पिछले 25 वर्ष सत्ता में था. भाजपा ने अपने क्षेत्रीय सहयोगी दलों के साथ मिलकर नगालैंड और मेघालय में भी सरकार बना ली. लेकिन क्या भाजपा के लिए यह हार 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए खतरे की घंटी है. आइए जानते हैं कुछ खास बातें…

1. लोकसभा उपचुनावों के नतीजों के बाद लोकसभा में भाजपा के सदस्‍यों की संख्‍या 2014 के 282 से घटकर 272 पर पहुंच चुकी है. लोकसभा में मौजूदा समय में 536 सांसद हैं जबकि सात सीटें रिक्त हैं. इस हिसाब से लोकसभा में भाजपा के पास अकेले बहुमत है.

2. भाजपा को जनवरी में सबसे पहले राजस्थान की अजमेर और अलवर लोकसभा सीट पर हार का सामना करना पड़ा. जबकि 2014 की बात करें तो इस लोकसभा चुनाव में भाजपा ने राजस्‍थान की सभी 25 सीटों पर जीत हासिल की थी.

3. 2017 में भाजपा को पंजाब के गुरदासपुर सीट पर हार का मुंह देखना पड़ा था. यह सीट भाजपा के सांसद विनोद खन्‍ना के निधन के बाद खाली हुई थी.

4. 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद 20 सीटों पर अबतक उपचुनाव हुए हैं, जिसमें से सिर्फ तीन सीटों पर भाजपा ने जीत का परचम फहराया. यहां चर्चा कर दें कि इसमें से अधिकतर सीटें भाजपा के पास नहीं थीं.

5. 2018 में छह लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में भाजपा ने एक भी सीट पर जीत का स्वाद नहीं चखा. ये उपचुनाव राजस्थान, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और बिहार में हुए हैं.

6. 2014 में पांच लोकसभा सीटों पर हुए चुनाव में से भाजपा ने दो सीटों पर जीत हासिल की थी. इसमें एक गुजरात के वडोदरा और दूसरी महाराष्‍ट्र की बीड लोकसभा सीट थी. जबकि तेलंगाना की मेडक सीट पर टीआरएस, यूपी की मैनपुरी सीट पर सपा और उड़ीसा के कंधमाल सीट पर बीजद ने जीत हासिल की.

7. साल 2015 की बात करें तो यह साल भाजपा के लिए अच्‍छा नहीं रहा. इस साल तीन लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुए और भाजपा को एक में भी जीत हासिल नहीं हुई. इसमें पश्चिम बंगाल के बनगांव की सीट पर टीएमसी, तेलंगाना की वारंगल सीट पर टीआरएस और मध्‍यप्रदेश की रतलाम सीट पर कांग्रेस ने जीत का परचम लहराया.

8. साल 2016 में तीन सीटों पर उप चुनाव कराए गये जिसमें भाजपा ने मध्‍यप्रदेश की शहडोल सीट पर जीत हासिल की. ज‍बकि पश्चिम बंगाल की कूच बिहार और तमलुक सीट पर हार का सामना करना पड़ा. इन दोनों सीट पर टीएमसी ने जीत हासिल की.

9. 2017 में भी तीन सीटों पर उपचुनाव हुआ जिसमें केरल के मलप्‍पुरम सीट पर आईयूएमएल, पंजाब के गुरदासपुर सीट पर कांग्रेस और जम्‍मू-कश्‍मीर की श्रीनगर सीट पर हुए उपचुनाव में जेकेएनसी ने जीत का परचम लहराया.

10. उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा के गठबंधन से गोरखपुर और फूलपुर में सपा के उम्‍मीदवारों को मिली जीत अन्य पिछड़ वर्ग (ओबीसी), दलित और मुस्लिम वोटों के एकीकरण को दर्शाता है. जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने दोनों सीटों पर तीन लाख से अधिक वोटों के अंतर से जीत प्राप्त की थीं.

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