नयी दिल्ली : केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने आज कहा कि आधार संख्या का न होना संप्रग सरकार की महत्वकांक्षी नकद अंतरण योजना से वंचित होने का कारण नहीं होना चाहिए. इस बात को लेकर चिंता है कि नकद अंतरण योजना के लिये आधार की अनिवार्यता से कई लोग खासकर दूरदराज क्षेत्र में रहने वाले इस योजना के लाभ से वंचित हो सकते हैं. इस आशंका के बीच मंत्री ने यह बात कही.
यहां नकद अंतरण योजना पर संवाददाता सम्मेलन में ग्रामीण विकास मंत्री रमेश ने कहा, ‘‘दुर्भाग्य से कई लाभार्थी आधार संख्या नेटवर्क से बाहर हैं. बहुसंख्यक जिलों में आधार का दायरा महत्वपूर्ण सीमा 75 से 80 प्रतिशत से कहीं कम है. वास्तव में इस पर गौर करने की जरुरत है.’’ उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करने की जरुरत है कि आधार संख्या न होना लाभ से वंचित होने का कारण नहीं बने.
मंत्री ने कहा, ‘‘हम ऐसी स्थिति नहीं चाहते जब आधार योजना से वंचित होने का कारण बन जाए. अगर आपके पास आधार नहीं है, आपको लाभ नहीं मिलेगा, हम ऐसी स्थिति नहीं चाहते.’’ ऐसी रिपोर्ट है कि केंद्र एक जुलाई से शुरु प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) को क्रियान्वित करने के लिये आधार की उपेक्षा करे. केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक बैंकिंग प्रतिनिधि माडल को लेकर पर्याप्त तरीके से प्रतिक्रिया नहीं दिखा रहे हैं जबकि लाभार्थियों को सीधे लाभ उनके हाथ में देने के लिये यह जरुरी है. जयराम रमेश ने कहा कि बैंकिंग प्रतिनिधि के उपयोग के संदर्भ में निजी क्षेत्र के बैंक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के मुकाबले ज्यादा नवप्रवर्तनशील हैं. जहां तक बैंकिंग प्रतिनिधि का सवाल है सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक इस दिशा में पर्याप्त काम नहीं कर रहे हैं.
उन्होंने दूरदराज के जनजातीय क्षेत्रों में लोगों तक पहुंच के लिये बैंकों के मुकाबले डाकघरों का पक्ष लिया. साथ ही स्वयं सहायता समूह, आशा कर्मियों तथा अन्य इस प्रकार की एजेंसियों को शामिल कर बैंकिंग प्रतिनिधि नेटर्वक मजबूत करने और लाभार्थियों के बारे में निर्णय करते वक्त बीपीएल एपीएल मुद्दे से हटने को कहा.