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कोलकाता : आइआइटी खड़गपुर ने एक नयी पहल करते हुए प्रथम वर्ष के अपने तीन छात्रों को लर्न-अर्न-रिटर्न छात्रवृत्ति दी है. इस पुरस्कार की स्थापना आइआइटी के निदेशक प्रोफेसर पीपी चक्रवर्ती ने वर्ष 2016 में पूर्व छात्रों से मिले कोष के आधार पर की थी. इसके तहत प्रत्येक छात्र को चार साल के लिए प्रति […]

कोलकाता : आइआइटी खड़गपुर ने एक नयी पहल करते हुए प्रथम वर्ष के अपने तीन छात्रों को लर्न-अर्न-रिटर्न छात्रवृत्ति दी है. इस पुरस्कार की स्थापना आइआइटी के निदेशक प्रोफेसर पीपी चक्रवर्ती ने वर्ष 2016 में पूर्व छात्रों से मिले कोष के आधार पर की थी. इसके तहत प्रत्येक छात्र को चार साल के लिए प्रति माह 10,000 रुपये का नकद पुरस्कार दिया जायेगा. प्रथम वर्ष का पहला सेमेस्टर खत्म होने पर जेइइ एडवांस्ड रैंक के आधार पर छात्रवृत्ति दी जायेगी.

दूसरे सेमेस्टर के बाद पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं को सीजीपीए (क्युमुलेटिव ग्रेड प्वाइंट एवरेज) नौ को बनाये रखना होगा. प्रोफेसर चक्रवर्ती ने कहा कि लर्न-अर्न-रिटर्न (एलइआर) छात्रवृत्ति का विचार एक छात्र को सहायता प्रदान करना और उस छात्र या छात्रा को आइआइटी खड़गपुर की भावी छात्र पीढ़ी के प्रति एक भूतपूर्व छात्र के तौर पर ऐसी ही सहायता की भावना से समर्थ बनाना है. इस छात्रवृत्ति के लिए संस्थान के करीब 120 पूर्व छात्रों ने दान दिया है.

स्कीम की शुरुआत के बाद से संस्थान के 120 पूर्व छात्रों ने कोष में दिया दान

अतिप्रतिभावान विद्यार्थियों को इस स्कीम के तहत पूरी फीस माफी की छूट भी मिल सकती है. साथ ही जिन विद्यार्थियों को फीस छूट के रूप में यह स्कॉलरशिप मिलती है, उन्हें पढ़ाई पूरी करने के बाद इस स्कीम के तहत पूरी राशि लौटानी होती है, ताकि दूसरे जरूरतमंद छात्रों की मदद हो सके. साथ ही छात्रों को इस स्कॉलरशिप के योग्य बने रहने के लिए हर सेमेस्टर में अच्छा प्रदर्शन करना होता है.

10000 रुपये देने का आग्रह

केंद्र सरकार द्वारा आइआइटी खड़गपुर के बजट में कमी कर देने के कारण संस्थान ने फंड जुटाने का एक नया तरीका ढूंढा. इसका नाम लर्न-अर्न-रिटर्न फंड स्कीम रखा गया है. इसके तहत विद्यार्थियों को फीस में छूट मिलती है अगर वह पढ़ाई पूरी होने के बाद पैसा लौटाने का वादा करते हैं. जुलाई 2016 में इस स्कीम की स्थापना की गयी. आइआइटी खड़गपुर के निदेशक पार्थ प्रतिम चक्रवर्ती ने बताया कि इसमें संस्थान के छात्रों से नौकरी मिलने के बाद कम से कम 10000 रुपये सालाना योगदान देने का आग्रह किया गया. उन्होंने कहा कि अगर हमारे पुराने छात्रों में से 30 हजार छात्र भी सिर्फ 10 हजार रुपये का एक वर्ष में योगदान देते हैं तो हमारे पास 30 करोड़ एक साल में इकट्ठा हो सकता है.

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