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कांग्रेस ने रमन सिंह से इस्तीफा मांगा

नयी दिल्ली : आखिरकार कांग्रेस ने रमन सिंह का इस्तीफा मांग लिया. शनिवार के हत्याकांड की आंच जब मद्धिम पड़ती लगी तो सियासत गर्मा गई. कांग्रेस ने इस पूरे मामले के लिए बीजेपी को ज़िम्मेदार ठहराया है. इधर, बीजेपी ने इसे ‘ओछी राजनीति’ करार दिया. कांग्रेस प्रवक्ता भक्त चरणदास ने कहा कि रमन सिंह को […]

नयी दिल्ली : आखिरकार कांग्रेस ने रमन सिंह का इस्तीफा मांग लिया. शनिवार के हत्याकांड की आंच जब मद्धिम पड़ती लगी तो सियासत गर्मा गई.

कांग्रेस ने इस पूरे मामले के लिए बीजेपी को ज़िम्मेदार ठहराया है. इधर, बीजेपी ने इसे ‘ओछी राजनीति’ करार दिया. कांग्रेस प्रवक्ता भक्त चरणदास ने कहा कि रमन सिंह को अब इस्तीफा दे देना चाहिए. छत्तीसगढ़ में माओवादी हमले के बाद यह पहली बार है कि कांग्रेस ने रमन सिंह का इस्तीफा मांगा है.

इसके साथ सियासत का वह ढक्कन खुल गया जो कल तक बंद था. वैसे, रमन सिंह ने इसके पहले एनडीटीवी से बात करते हुए इस मामले को राजनीति से दूर रखने की सलाह दी थी.

वहीं दूसरी ओर राज्य में सत्तारुढ भारतीय जनता पार्टी और मुख्य विपक्षी कांग्रेस आमने सामने हैं. दोनों दलों ने इस घटना के लिए एक दूसरे पर साजिश रचने का आरोप लगाना शुरु कर दिया है. शनिवार 25 मई की शाम जब राज्य के दक्षिण क्षेत्र के नक्सल प्रभावित जिले बस्तर के बीहड़ से खबर आई कि नक्सलियों ने कांग्रेस की परिवर्तन यात्र पर हमला कर दिया है तब देश भर की निगाहें इस क्षेत्र पर जम गई. बाद में यह हमला देश के इतिहास में अब तक के सबसे बड़े नक्सली हमले के रुप में सामने आया है जिसमें कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष समेत कई अन्य नेताओं की हत्या कर दी गई है. घटना के तत्काल बाद कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी राजधानी रायपुर पहुंचे और जब यहां कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने राज्य में राष्ट्रपति शासन की मांग की तब राहुल ने कार्यकर्ताओं से कहा कि यह समय राजनीति करने का नहीं है. दूसरी ओर मुख्यमंत्री रमन सिंह ने इस मामले में राजनीति नहीं करने की सलाह दी और अपने मंत्रिमंडल के साथियों की सलाह से घटना की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए.लेकिन इस नरसंहार की घटना को 48 घंटे भी नहीं बीते थे कि राज्य के दोनों दलों ने इस घटना के पीछे षड़यंत्र को कारण माना और एक दूसरे पर आरोप लगाने भी शुरु कर दिए. मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस का कहना है कि यह घटना राज्य सरकार की साजिश का हिस्सा है और यही कारण है कि कांग्रेस नेताओं को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है. प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी का कहना है कि यह निश्चित रुप से राज्य सरकार की साजिश है. यही कारण है कि दरभा क्षेत्र में पहले केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल का आधार शिविर था लेकिन सात दिन पहले ही शिविर को वहां से हटा दिया गया. वहीं खुफिया विभाग ने क्षेत्र में नक्सली गतिविधियों तथा नक्सलियों द्वारा किसी बड़ी घटना को अंजाम देने की तैयारी की जानकारी राज्य शासन को दी थी जिसे राज्य सरकार ने गंभीरता पूर्वक नहीं लिया जिसकी परिणति इस घटना के रुप में हुई है.त्रिवेदी कहते हैं कि जब भी कांग्रेस नेताओं की क्षेत्र में आवाजाही होती है तब पुलिस को इसकी सूचना दी जाती है और इस बार भी यह किया गया. इससे पहले राज्य शासन ने नेताओं को पूरी सुरक्षा दी थी. लेकिन दरभा वाली घटना के दौरान क्षेत्र में एक भी पुलिस का सिपाही नजर नहीं आया. उल्टे राज्य शासन यह अफवाह फैलाने की कोशिश कर रहा है कि क्षेत्र में पूर्व नेता प्रतिपक्ष महेंद्र कर्मा के जाने के बारे में पुलिस को जानकारी नहीं दी गई. इधर कांग्रेस के आरोपों के बाद सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी भी आक्रामक हो गई है और कांग्रेस पर ही अपने नेताओं के खिलाफ षड़यंत्र रचने का आरोप लगा दिया है. राज्य में भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता अजय चंद्राकर कहते हैं कि यह घटना कांग्रेस की साजिश का ही हिस्सा है. घटना की न्यायिक जांच और एनआईए की जांच शुरु हो गई है. भारतीय जनता पार्टी को जिस किसी भी कांग्रेस नेता पर शक है उनका नाम तथ्यों के साथ दोनों जांच कर्ताओं को सौंपा जाएगा. चंद्राकर कहते हैं कि हमले के पीछे भाजपा का हाथ होने की आशंका और आरोप केवल ओछी राजनीति का हिस्सा है और इसकी जितनी भी निंदा की जाएगी कम है. राज्य सरकार को खुफिया ब्यूरो से मिली सूचना बारे में उन्होंने कहा कि राज्यों और भारत सरकार के बीच लगातार सूचनाओं का आदान प्रदान होता रहता है ऐसे में यदि किसी स्थान विशेष से संबंधित सूचना हो तभी उस पर सटीक कार्रवाई की जा सकती है. हांलाकि राज्य के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ऐसी किसी भी सूचना से इंकार कर रहे हैं.

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