नयी दिल्ली, विदेश मंत्रालय ने आज बताया कि यूएनएचआरसी में श्रीलंका द्वारा कथित युद्ध अपराधों के खिलाफ अमेरिकी समर्थित प्रस्ताव पर मतदान से भारत के अलग रहने का निर्णय उस देश में तमिलों के कल्याण के लिए ‘‘राजनीतिक’’ स्तर पर लिया गया था.
विदेश सचिव सुजाता सिंह ने कहा, ‘‘ विदेश नीति संबंधी कोई भी फैसला राजनीतिक निर्णय होता है, क्या ऐसा नहीं है? और राजनीतिक मंजूरी लिए बिना कोई भी अधिकारी निर्णय नहीं लेगा.’’ वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने पिछले सप्ताह बयान दिया था कि हो सकता है कि श्रीलंका के खिलाफ प्रस्ताव पर मतदान से अलग रहने का निर्णय विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने लिया हो. सुजाता इसी बयान के संबंध में पूछे गए प्रश्न का उत्तर दे रही थीं.
चिदंबरम ने अपनी नाखुशी जाहिर करते हुए कहा था, ‘‘ 23 देशों ने इसका समर्थन किया और हमें भी उसका समर्थन करना चाहिए था, भले ही उसे कमजोर कर दिया गया था.’’ विदेश सचिव ने कहा कि भारत प्रस्ताव पर मतदान से इसलिए अलग रहा क्योंकि यह ‘‘अत्यधिक हस्तक्षेप’’ करने वाला था और नई दिल्ली हमेशा यूएनएचआरसी में किसी देश विशेष के प्रस्ताव के खिलाफ रही है.