नयी दिल्लीः गुजरात के राज्यसभा चुनाव में राजनीतिक रस्साकशी के बाद कांग्रेस के चाणक्य कहे जाने वाले अहमद पटेल की जीत ने अस्तित्व बचाने की लड़ार्इ लड़ रही पार्टी को संजीवनी देने का काम किया है. इस जीत ने न केवल पार्टी को नये चेहरे के साथ नयी दशा-दिशा तय करने का मौका दिया है, बल्कि उसके कार्यकर्ताआें को भी ऊर्जावान बनाने का काम किया है. यह पहला एेसा मौका है, जबकि आमने-सामने की टक्कर में सत्तासीन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के प्रमुख दल भाजपा के दो दिग्गज रणनीतिकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आैर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के राजनीतिक चौरस में मात देने का काम किया है.
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मीडिया आैर राजनीतिक हलकों में हो रही चर्चा के अनुसार, देर रात नतीजे जारी होने के बाद कांग्रेस के कार्यकर्ताआें में जोश का संचार हो गया. दिल्ली के 10 जनपथ स्थित कांग्रेस मुख्यालय समेत देश के तमाम दफ्तरों पर रात के समय ही आनन-फानन में जश्न शुरू हो गया. मुद्दे की बात यह भी है कि अहमद पटेल की इस जीत के बाद पार्टी में इस साल होने जा रहे गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनावों को लेकर जोश दिखने लगा है. भाजपा ने इस चुनाव के सियासी वजन को इतना बढ़ा दिया था कि राज्यसभा का यह चुनाव सामान्य नहीं रहा.
भाजपा के दिग्गज रणनीतिकार अमित शाह ने कांग्रेस अध्यक्ष के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल पर निशाना साधकर गुजरात और हिमाचल में विपक्ष के मनोबल को तोड़ने की योजना बनायी थी. यह दांव भाजपा को उल्टा पड़ गया. परिणाम आने के बाद अहमद पटेल ने कहा कि अब अगला लक्ष्य गुजरात विधानसभा का चुनाव है. जाहिर है, पटेल वहां खुद को नये सिरे से साबित करने में जुटने वाले हैं. गुजरात में कांग्रेस के प्रभारी अशोक गहलोत की मानें, तो इस जीत ने 2017 के विधानसभा चुनाव के लिए कार्यकर्ताआें में जोश भरने का काम किया है. हम ब्लॉक स्तर पर नये सिरे से संपर्क अभियान शुरू करने जा रहे हैं.
यह संपर्क अभियान न सिर्फ गुजरात और हिमाचल में, बल्कि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भी शुरू किया जाने वाला है. इन राज्यों में 2018 के पूर्वार्द्ध में चुनाव की तैयारी है. हिमाचल प्रदेश में हाल में पार्टी ने फेरबदल किये हैं. बाकी राज्यों में भी इस तरह की कवायद चल रही है. गुजरात में कांग्रेस के भरत सिंह सोलंकी, अर्जुन मोढ़वाडिया, शक्ति सिंह गोहिल जैसे नेता पार्टी आलाकमान के साथ और करीब हुए हैं. इन सभी को जल्द ही अहम जिम्मेदारी देने की तैयारी है. ताजा स्थितियों में कांग्रेस पार्टी ने भाजपा के मिशन गुजरात 150 की काट की योजना बनाने की तैयारी शुरू कर दी है. कांग्रेस कार्यसमिति की ताजा बैठक में गुजरात के राजनीतिक समीकरणों पर भी मंथन हुआ है.
गुजरात में कांग्रेस बीते 33 साल से सत्ता के बाहर है. कांग्रेस के अर्जुन मोढ़वाडिया, शक्ति सिंह गोहिल, सिद्धार्थ पटेल जैसे बड़े नाम तो नरेंद्र मोदी के 13 साल के शासन में अपनी सीट भी नहीं बचा पाये. पूर्व मुख्यमंत्री माधवसिंह सोलंकी के बेटे और प्रदेश कांग्रेस के वर्तमान प्रमुख भारत सिंह सोलंकी आधी भी सीटें नहीं जुटा पाये, जबकि उनके पिता के नाम 1985 के चुनाव में 182 में से 149 सीटें जीतने का रिकॉर्ड है. ऐसे में बढ़ा मनोबल कांग्रेस के काम आयेगा. विपक्षी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और जनता दल (एकी) की गुजरात इकाइयों ने पहले ही कांग्रेस का साथ देने की घोषणा कर रखी है.