नयी दिल्ली: वकीलों के एक संगठन ने दिल्ली उच्च न्यायालय की एक अनुशंसा के खिलाफ अपना दो दिवसीय आंदोलन रद्द कर दिया जब मुख्य न्यायाधीश और प्रशासनिक समिति ने इस मुद्दे पर उसे ज्ञापन देने की अनुमति दे दी.
उच्च न्यायालय ने निचली अदालत में दीवानी मुकदमों में धन संबंधी अधिकार क्षेत्र की सीमा 20 लाख रुपये से बढ़ाकर दो करोड़ रुपये करने की अनुशंसा की है. दिल्ली उच्च न्यायालय बार संघ के नेताओं की मुख्य न्यायाधीश डी मुरुगेसन और उच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों के साथ दिन भर चली मंत्रणा मुद्दे के सौहार्दपूर्ण अंतरिम समाधान में परिणत हुई. इसके बाद हड़ताल को रद्द कर दिया गया.
डीएचसीबीए के अध्यक्ष ए एस चंडोक ने कहा, ‘‘मुख्य न्यायाधीश और प्रशासनिक समिति द्वारा धन संबंधी अधिकार क्षेत्र के मुद्दे पर हमारे ज्ञापन को पूर्ण अदालत के समक्ष रखने का आश्वासन दिए जाने के बाद हमने हड़ताल रद्द कर दी.’’ डीएचसीबीए के महासचिव मोहित माथुर ने कहा, ‘‘हमें पूर्ण अदालत के समक्ष विचार के लिए नए सिरे से ज्ञापन देने की अनुमति दी जाएगी.’’ इस बीच, उच्च न्यायालय में ज्यादातर अदालत कक्ष वीरान दिखे क्योंकि वकील आज अदालतों में अनुपस्थित थे. वादकारों ने अपने-अपने मामलों में स्थगनादेश लिया.