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भीतर झांको, बाहर सब साफ दिखेगा- गीता की अमूल्य सीख

Gita Updesh: गीता कहती है कि हम सिर्फ शरीर नहीं हैं, हम आत्मा हैं और आत्मा का रास्ता परम सत्य की ओर है. यह ग्रंथ न सिर्फ सही और गलत का फर्क बताता है, बल्कि ये भी सिखाता है कि कैसे भीतर की आवाज को सुनकर सही दिशा में बढ़ा जाए.

Gita Updesh: श्रीमद्भगवद्गीता सिर्फ एक किताब नहीं, ये जीवन को देखने और जीने का एक नया नजरिया देती है. जब हर ओर अंधेरा लगे, दिल टूटने लगे और किसी से उम्मीद न बचे तब गीता ये यकीन दिलाती है कि ईश्वर हमारे साथ हैं. बस हमें खुद को उन्हें सौंप देना है. यह ग्रंथ हमें बताता है कि जीवन में सबसे जरूरी है अपने कर्म पर टिके रहना, बिना किसी फल की चिंता किए. मोह, डर, और उम्मीदों से जो उलझनें बनती हैं, गीता उन्हें धीरे-धीरे खोलती है और मन को एक शांत झील की तरह स्थिर कर देती है. गीता कहती है कि हम सिर्फ शरीर नहीं हैं, हम आत्मा हैं और आत्मा का रास्ता परम सत्य की ओर है. यह ग्रंथ न सिर्फ सही और गलत का फर्क बताता है, बल्कि ये भी सिखाता है कि कैसे भीतर की आवाज को सुनकर सही दिशा में बढ़ा जाए. गीता जीवन का आइना है, जो बाहर नहीं, भीतर झांकना सिखाती है. वर्तमान समय में कई लोग काम तो करते हैं, लेकिन उन्हें मन मुताबिक चीजें नहीं मिल पाती हैं. ऐसे में उन्हें अपने काम का मूल्यांक करना चाहिए. गीता के कुछ उपदेशों से खुद की हालातों का आकलन किया जा सकता है.

स्वधर्म और कर्तव्य का पालन

श्रेयान्स्वधर्मो विगुणः परधर्मात्स्वनुष्ठितात्

भावार्थ- अपने धर्म (कर्तव्य) का पालन करना, चाहे वह कमियों से युक्त हो, दूसरों के धर्म को अपनाने से बेहतर है.

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ऐसे करें आकलन

यह श्लोक सिखाता है कि क्या आप अपने कर्तव्यों के प्रति सच्चे हैं? क्या आप दूसरों की नकल कर रहे हैं या खुद के स्वभाव और गुणों के अनुसार चल रहे हैं?

Bhagavad Gita Updesh
Gita updesh

गुणों की पहचान

गीता उपदेश के अनुसार हर व्यक्ति तीन गुणों से बना है:-

  • सत्त्व (ज्ञान, संतुलन)
  • रज (क्रिया, वासना)
  • तम (अज्ञान, आलस्य)

ऐसे करें आकलन

अपने स्वभाव और निर्णयों का निरीक्षण करें- किस गुण का प्रभाव आप पर सबसे अधिक है? क्या आप ज्ञान और संतुलन की ओर बढ़ रहे हैं?

आत्मा की पहचान

न जायते म्रियते वा कदाचिन्नायं भूत्वा भविता वा न भूयः

भावार्थ- आत्मा न कभी जन्म लेती है, न मरती है.

ऐसे करें आकलन

क्या आप खुद को केवल शरीर और मन के रूप में देखते हैं या आत्मा के रूप में? गीता आत्मा की पहचान को जानने पर जोर देती है- वही सच्चा आत्म-ज्ञान है.

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Disclaimer: यह आर्टिकल सामान्य जानकारियों और मान्यताओं पर आधारित है. प्रभात खबर किसी भी तरह से इनकी पुष्टि नहीं करता है.

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