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Thursday, March 28, 2024

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Healthy Life: पीठ दर्द को हल्के में लेना पड़ेगा भारी, जानें कारण और इससे बचने के उपाय

आज पीठ दर्द एक महामारी का रूप लेता जा रहा है. यह समस्या पहले जहां हड्डियां कमजोर होने की वजह से 40 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों को होती थी. वहीं आज बदलती जीवनशैली व असंतुलित खान-पान से युवाओं में भी देखने को मिल रही है तो आइए जानते हैं पीठ दर्द से कैसे छुटकारा पाया जा सकता है.

दर्द चाहे शरीर के किसी भी हिस्से में हो, कई बार पीड़ित व्यक्ति के जी का जंजाल बन जाता है और उसकी दिनचर्या व कार्यक्षमता को प्रभावित करता है. पीठ दर्द भी उनमें से एक है. आज पीठ दर्द एक महामारी का रूप लेता जा रहा है. यह समस्या पहले जहां हड्डियां कमजोर होने की वजह से 40 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों को होती थी, वहीं आज बदलती जीवनशैली व असंतुलित खान-पान से युवाओं में भी देखने को मिल रही है. इसकी वजह से उठने-बैठने, चलने और लेटने आदि गतिविधियों में समस्या आने लगती है.

क्या होता है पीठ दर्द

पीठ दर्द असल में रीढ़ की हड्डी, उसके टिशूज, नसें, मांसपेशियों, लिंगामेंट्स और डिस्क पर दबाव पड़ने या किसी तरह की तकलीफ होने पर होता है. इसकी वजह से पीठ के अलग-अलग हिस्सों में या एक ही जगह पर दर्द हो सकता है. यह दर्द गर्दन से लेकर कमर के निचले हिस्से तक या फिर स्लिप डिस्क या साइटिका होने की स्थिति में पैरों तक जा सकता है. एक रिसर्च के अनुसार, दुनियाभर में पीठ दर्द डॉक्टर के पास जाने का दूसरा सबसे बड़ा कारण है.

उम्र के हिसाब से पीठ दर्द

आमतौर पर किशोरावस्था में मांसपेशियों में तनाव या स्पोंडिलाइटिस होने के कारण दर्द होता है. थोड़ा बड़े होने पर वर्किंग युवा, जो लगातार कई घंटे कुर्सी पर बैठकर काम करते हैं. उनमें पीठ दर्द का मुख्य कारण डिस्क का डिजनरेशन होता है, जिससे पीठ दर्द शुरू हो जाता है. कम उम्र के पुरुषों (15-25 वर्ष) में गठिया-बाय एंकिलोसिंग स्पॉन्डिलाइटिस की वजह से भी पीठ दर्द होता है. इसमें मरीज को सुबह उठने पर पूरे शरीर में खासकर पीठ में बहुत ज्यादा जकड़न होती है.

स्लिप डिस्क भी दर्द की बड़ी वजह

50 वर्ष से अधिक उम्र में स्लिप डिस्क कमर दर्द का एक बड़ा कारण होता है, जिसमें दर्द कमर से शुरू होकर पैरों तक जाता है. इसमें रीढ़ की हड्डी में छोटी-छोटी कशेरुकाएं होती हैं, जिनके बीच स्लिप डिस्क होती हैं. यह डिस्क ही शॉक अब्जार्वर का काम करती हैं. ये स्लिप डिस्क बाहर निकलकर पैरों की नसों पर दबाव डालने लगती हैं, तब यह दर्द पीठ से पैरों की तरफ जाता है, जिसे साइटिका भी कहा जाता है. बुजुर्गों में रीढ़ की हड्डी के अर्थराइटिस या ऑस्टियोपोरोसिस के कारण पीठ दर्द होता है. रीढ़ की हड्डी में बहुत सारी कशेरुकाएं होती हैं, जो आपस में इंटरवर्टिबल डिस्क के माध्यम से जुड़ी होती हैं.

पीठ दर्द से क्या है खतरा

कई बार दूसरी शारीरिक समस्याओं के कारण पीठ दर्द पूरी तरह डायग्नोज नहीं हो पाता. पीठ दर्द को हल्के में लेना और समुचित उपचार न कराने पर कई मामलों में यह लंबे समय तक बना रहता है और क्रॉनिक रूप ले लेता है. मरीज की रोजमर्रा की गतिविधियों जैसे- उठने, बैठने, चलने, लेटने आदि कामों में समस्या होने लगती हैं. ऐसी स्थिति में रीढ़ की हड्डी या डिस्क की सर्जरी तक करनी पड़ सकती है.

कब जाएं डॉक्टर के पास

पीठ दर्द को हल्के में लेना गलत है. आमतौर पर बहुत तेज दर्द हो, लेकिन दो-चार घंटे में ठीक हो जाता हो, तो यह स्थिति ज्यादा चिंताजनक नहीं होती. वहीं, जब दर्द बार-बार आये, छोटे-मोटे काम करने पर हल्का-फुल्का दर्द हो जाये और लंबे समय तक (6 सप्ताह से अधिक) रहे, तो यह क्रोनिक और चिंताजनक हो जाता है. इसके अलावा अगर मरीज को इस तरह की समस्याएं महसूस हो, तो ओवर-द-काउंटर मेडिसिन पर भरोसा न कर डॉक्टर को दिखाना चाहिए. यदि दर्द असहनीय हो जाये और 3 सप्ताह से अधिक समय तक रहे या कुछ दिन बाद दुबारा हो. पीठ दर्द और अकड़न हो, जो आपकी गतिशीलता में रुकावट बने, बुखार हो, हाथ-पैरों में कमजोरी, झुनझुनाहट, दर्द या सुन्नपन जैसे न्यूरोजिकल समस्या हो, मल-त्याग या पेशाब करने में तकलीफ हो तो डॉक्टर से जरूर मिलें.

क्या हैं इसके कारण

आज कमर दर्द एक महामारी की तरह फैल रहा है. इसके कारणों को तीन भागों में बांट सकते हैं.

1. मैकेनिकल पीठ दर्द

90 प्रतिशत मामलों में पीठ दर्द बिना किसी स्पष्ट कारण के होता है जैसे- गलत पोजिशन या पॉश्चर में काम करने, आगे झुक कर या गलत पॉश्चर में बैठना, कंधे झुका कर खड़े होना या चलना, सीधे झुक कर भारी वजन उठाने से मांसपेशियों में खिंचाव, मांसपेशियों की कमजोरी, लंबे समय तक बैठकर काम करने से रीढ़ की हड्डी की डिस्क का डिजनरेट होना, ज्यादा देर तक खड़े रहने या चलने वाले काम करने पर भी मांसपेशियों में थकावट आने से, रेगुलर एक्सरसाइज की कमी, जिम में एक्सपर्ट की ट्रेनिंग के बिना एक्सरसाइज करने से मांसपेशियों में ऐंठन होना, पौष्टिक और संतुलित आहार लेने के बजाय जंक फूड का सेवन ज्यादा करने, वर्क प्रेशर के कारण स्ट्रेस रहना, स्मोकिंग करना, गलत फिटिंग के और हाइ हील के जूते पहनना.

2. चोट की वजह से दर्द

पीठ दर्द के 10 प्रतिशत मामलों के पीछे मरीज की पीठ में लगी कोई चोट, झटका लगना, माइनर इंजरी, लिगामेंट्स स्ट्रेन, मसल्स पूल, बोन फ्रैक्चर आदि हो सकता है. गठिया स्पॉन्डिलाइटिस, स्लिप डिस्क या स्पाइनल ऑस्टियोआर्थराइटिस जैसी बीमारी होने पर रीढ़ की हड्डी में मौजूद डिस्क अपनी जगह से हिल जाती है और पीठ की नसों में दबाव डालती है, जिससे दर्द की समस्या होती है. वजन बढ़ने से शरीर का सारा भार रीढ़ की हड्डी और शरीर के निचले हिस्से की मांसपेशियों के कमजोर पड़ने से दर्द होने लगता है.

3. प्रसव के बाद ध्यान न रखने पर होने वाला दर्द

गर्भावस्था में महिलाओं की पेल्विक मांसपेशियों में प्राकृतिक रूप से बहुत अधिक खिंचाव होता है. इससे महिलाओं को काफी समय तक कमर दर्द का सामना करना पड़ता है. प्रसवोपरांत अतिरिक्त शारीरिक श्रम करने, शिशु की देख-रेख व स्तनपान कराने के साथ घर के काम निबटाने पड़ते हैं. इससे मां को पूरा आराम नहीं मिल पाता और पीठ दर्द की वजह बनती है.

पीठ व कमर दर्द से कैसे बचें-

  • उठने-बैठने का हो सही पॉश्चर: बैठने के दौरान हिप, घुटने और पैर 90 डिग्री के एंगल में होने चाहिए. बैठते हुए कुर्सी से पूरा टेक लगा कर बैठें. चाहें तो सहारा देने के लिए अपनी पीठ के निचले हिस्से में छोटी-सी गद्दी रख सकते हैं. यदि लंबे समय तक लैपटॉप का उपयोग करते हैं, तो स्लेंटेड स्टैंड का उपयोग करें. आपके लैपटॉप का उपरी भाग आपके सिर के समांतर होना चाहिए. खड़े होते समय ध्यान रखें कि दोनों पैरों पर बराबर वजन न डालकर खड़े हों. कंधे आगे की ओर झुकाकर या सिर पीछे की ओर करके खड़े न हों. पूरा शरीर एक लाइन में होना चाहिए. ज्यादा देर तक खड़े होकर काम करना हो, तो किसी एक पैर के नीचे 4-5 इंच ऊंचा पटरा रख लें. नीचे से किसी वस्तु या वजन को उठाते समय पीठ सीधे आगे की ओर झुककर न उठाएं. पीठ सीधी रखते हुए खड़े हों, घुटनों को धीरे-धीरे मोड़ते हुए नीचे झुकें. फिर वजन उठाएं और धीरे-धीरे सीधे खड़े हो जाएं.

यथासंभव अपनी सक्रियता बनाये रखें

अधिक देर तक बैठे या लेटे न रहें. घर हो या ऑफिस, कोशिश करें कि काम खड़े होकर करें. अगर बैठकर काम करना जरूरी है तो हर आधे घंटे बाद सीट से उठें और 4 से 5 मिनट के लिए टहलें या हल्की-फुल्की स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज करें. पीठ दर्द वाली जगह या मांसपेशियों में अकड़न वाली जगह पर आइस पैक से सिंकाई करें.

फिजियो की सलाह से करें एक्सरसाइज

पीठ दर्द से बचने के लिए फिजियोथेरेपिस्ट व डॉक्टर की सलाह पर ही रेगुलर एक्सरसाइज करें. कमर की मांसपेशियों को मजबूत बनाने के लिए स्ट्रेचिंग और स्ट्रेथनिंग एक्सारसाइज नियमित रूप से करें. रोजाना ऐरोबिक, ब्रिजिंग एक्सरसाइज करें. सप्ताह में कम-से-कम 5 दिन 40 मिनट रेगुलर वॉक करें. हेल्दी वजन मेंटेन करें.

खान-पान में लें पौष्टिक आहार

अनहेल्दी जंक व फास्ट फूड की जगह संतुलित और पौष्टिक आहार लें. दिन में कम-से-कम 8 गिलास पानी जरूर पीएं. अस्थिक्षरण को रोकने के लिए मेनोपॉज के बाद महिलाओं और 60 साल के बाद पुरुषों को डॉक्टर को कंसल्ट करके नियमित रूप से कैल्शियम-विटामिन डी के सप्लीमेंट जरूर लेने चाहिए. विटामिन डी की आपूर्ति के लिए रोजाना सुबह कम-से-कम 30 मिनट धूप सेंकें. स्मोकिंग, अल्कोहल से दूर रहें. स्मोकिंग से लंग्स में समस्या होती है, जो खांसी की वजह बनती है, जिससे कमर दर्द हो सकता है.

क्या हैं उपचार

डॉक्टर सबसे पहले एक्स रे और एमआरआइ करके मरीज से पीठ दर्द की मूल वजह का पता लगाते हैं. इसके लिए दर्द के कारण, पैटर्न, तीव्रता और गंभीरता के बारे में जानकारी लेते हैं. मरीज की स्थिति के हिसाब से उपचार किया जाता है. उन्हें मसल्स रिलेक्सेंट, पेन रिलीवर मेडिसिन, सूजन दूर करने के लिए एंटी बायोटिक मेडिसिन दी जाती हैं. अगर पीठ दर्द के मैकेनिकल कारणों से हो, तो डॉक्टर मरीज को स्वस्थ वजन कायम करने, पॉश्चर में सुधार करने, ठीक फिटिंग के और आरामदायक जूते या चप्पल पहनने और पूरा आराम करने का निर्देश देते हैं. ज्यादातर मरीज 6-8 सप्ताह के भीतर 90 प्रतिशत मरीज ठीक हो जाते हैं.

पड़ सकती है सर्जरी की जरूरत

स्लिप डिस्क जैसे कारणों से 6-8 सप्ताह के बावजूद दिनोंदिन बढ़ते पीठ दर्द का उपचार दो तरह से किया जा सकता है. सर्जरी या मिनिमली इनवेसिव पेन इंटरवेंशन का सहारा लिया जाता है जैसे- रीढ़ की हड्डी में मौजूद डिस्क के अंदर डिजनरेशन होने लगता है, उसका इलाज रेडियो फ्रिक्वेंसी ट्रीटमेंट दिया जाता है. बुजुर्गों में फैसट जाइंट आर्थोपैथी में रेडियो फ्रीक्वेंसी से इलाज किया जाता है. स्लिप डिस्क के लिए एंडोस्कोपी से पीठ की नसों को दबाने वाली डिस्क को निकाल दिया जाता है. ऑस्टियोपोरोसिस की वजह से रीढ़ की हड्डी दब जाती है और बहुत दर्द होता है. ऐसी स्थिति में रीढ़ की हड्डी की सर्जरी करके रॉड स्क्रू डालकर ठीक किया जाता है.

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