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साइंस लेकर पढ़ रहे हैं तो नहीं होगी टेंशन, इन क्षेत्रों में है करियर की असीम संभावना, जानें कैसे करें आवेदन

मशहूर भारतीय भौतिक विज्ञानी एवं नोबेल पुरस्कार विजेता सीवी रमन काे याद करते हुए देश में हर साल 28 फरवरी को नेशनल साइंस डे मनाया जाता है. वर्ष 1928 में इसी दिन प्रोफेसर सीवी रमन ने एक अद्भुत वैज्ञानिक खोज की थी, जिसे 'रमन प्रभाव' के नाम से जाना जाता है. राष्ट्रीय विज्ञान दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य छात्र-छात्राओं में विज्ञान के प्रति रुचि विकसित करना और उन्हें इस क्षेत्र में नये प्रयोगों के लिए प्रेरित करना है.

मशहूर भारतीय भौतिक विज्ञानी एवं नोबेल पुरस्कार विजेता सीवी रमन काे याद करते हुए देश में हर साल 28 फरवरी को नेशनल साइंस डे मनाया जाता है. वर्ष 1928 में इसी दिन प्रोफेसर सीवी रमन ने एक अद्भुत वैज्ञानिक खोज की थी, जिसे ‘रमन प्रभाव’ के नाम से जाना जाता है. राष्ट्रीय विज्ञान दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य छात्र-छात्राओं में विज्ञान के प्रति रुचि विकसित करना और उन्हें इस क्षेत्र में नये प्रयोगों के लिए प्रेरित करना है. आप अगर साइंस के छात्र हैं और वक्त के साथ उभरते कार्यक्षेत्र में भविष्य बनाने की ख्वाहिश रखते हैं, तो इन पांच क्षेत्राें में करियर के बेहतरीन अवसर प्राप्त कर सकते हैं.

स्पेस टेक्नोलॉजी : स्पेस टेक्नोलॉजी, विज्ञान की वह शाखा है, जिसके अंतर्गत कॉस्मोलॉजी, स्टारर साइंस, एस्ट्रोफिजिक्स, प्लेनेटरी साइंस, एस्ट्रोनॉमी आदि का अध्ययन किया जाता है. इस विषय की शिक्षा प्राप्त करने के बाद आप स्पेस साइंटिस्ट, एस्ट्रोनॉमर, एस्ट्रोफिजिसिस्ट, मटीरियोलॉजिस्ट, क्वालिटी एश्योरेंस स्पेशलिस्ट, रडार टेक्नीशियन, सेटेलाइट टेक्नीशियन आदि के रूप में नासा, इसरो एवं डीआरडीओ जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में काम के अवसर प्राप्त कर सकते हैं.

वहीं स्पेसक्राफ्ट सॉफ्टवेयर डेवलपिंग फर्म, रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेंटर, स्पेसक्राफ्ट मैन्युफैक्चरिंग फर्म, स्पेस टूरिज्म आदि में भी इन प्रोफेशनल्स के लिए आये दिन नयी संभावनाएं विकसित हो रही हैं. स्पेस साइंटिस्ट के तौर पर आप शुरुआती दौर में 56 से 78 हजार रुपये प्रतिमाह कमा सकते हैं, जबकि एक से दो वर्ष के अनुभव के बाद ही आपका वेतन 86 हजार से 1 लाख रुपये तक हो सकता है. रिसर्च के क्षेत्र में शामिल होकर आप साइंटिस्ट के रूप में लाखों का पैकेज प्राप्त कर सकते हैं. आप चाहें तो अच्छे पैकेज के साथ विदेश में भी काम कर सकते हैं.

योग्यता : फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथमेटिक्स के साथ 12वीं पास करने के बाद आप स्पेस टेक्नोलॉजी के बैचलर प्रोग्राम में दाखिला ले सकते हैं. स्नातक के बाद मास्टर्स भी कर सकते हैं. आप अगर इस क्षेत्र में स्पेशलाइजेशन करना चाहते हैं, तो आपके लिए पीएचडी करने का विकल्प भी है.

कहां से करें कोर्स : इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी, तिरुवनंतपुरम. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च, भुवनेश्वर. आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेज, नैनीताल. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स, बेंगलुरु.

अर्बन प्लानिंग : अर्बन प्लानिंग के तहत नये शहरों की रूपरेखा तैयार की जाती है. यह एक ऐसी तकनीक है, जिसमें कम्युनिकेशन नेटवर्क एवं ट्रांसपोर्टेशन को ध्यान में रखते हुए शहर के अर्बन एनवायर्नमेंट का डिजाइन तैयार किया जाता है. कई बार पहले से बसे शहरों के ढांचे में बदलाव करने के लिए भी अर्बन प्लानिंग की जरूरत पड़ती है. इसे सिटी प्लानिंग या टाउन प्लानिंग भी कहा जाता है. शहरीकरण के इस दौर में टाउनशिप व स्मार्ट सिटीज पर तेजी से काम किया जा रहा है. ऐसे में यह क्षेत्र युवाओं के लिए आये दिन नयी संभावनाएं विकसित कर रहा है.

इस क्षेत्र में आप सरकारी एजेंसियों, टाउन एवं कंट्री प्लानिंग विभाग, हाउसिंग बोर्ड्स, शहरी विकास प्राधिकरण, जिला एवं ग्रामीण नियोजन विभाग में एसोसिएट टाउन प्लानर के रूप में करियर की शुरुआत कर सकते हैं. आप निजी कंपनियों या प्रॉपर्टी फर्म्स, रियल एस्टेट फर्म्स, सोशल एजेंसीज, नॉन प्रॉफिट हाउसिंग ग्रुप और इंटरनेशनल कंसल्टिंग कंपनियों में भी जॉब कर सकते हैं. प्राइवेट सेक्टर में आपको 6-8 लाख रुपये का वार्षिक पैकेज दिया जा सकता है, जबकि सरकारी क्षेत्र में आपकी सैलरी इससे थोड़ी कम होगी.

योग्यता : फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स के साथ 12वीं पास करनेवाले छात्र अर्बन व रूरल प्लानिंग में बीटेक या बैचलर ऑफ प्लानिंग का कोर्स कर सकते हैं. बैचलर्स के बाद आप सिटी प्लानिंग, रीजनल प्लानिंग, अर्बन एंड रूरल प्लानिंग, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग में मास्टर्स कर सकते हैं. आप आगे जाकर पीएचडी भी कर सकते हैं.

कहां से करें कोर्स : आइआइटी खड़गपुर/ रुड़की. स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर, नयी दिल्ली/ भोपाल/ विजयवाड़ा. स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर एंड प्लानिंग, अन्ना यूनिवर्सिटी, चेन्नई. मौलाना आजाद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, भोपाल. सेंटर फॉर एनवायर्नमेंटल प्लानिंग एंड टेक्नोलॉजी, अहमदाबाद.

ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी : आज सारी चीजें डेटा के इर्द-गिर्द घूम रही हैं. ऐसे में ब्लॉकचेन को भविष्य की सबसे असरदार टेक्नोलॉजी माना जा रहा है. ब्लॉकचेन को डेटा के रिकॉर्ड और ट्रांसफर करने की सबसे पारदर्शी, कुशल, सुरक्षित, ऑडिटेबल और छेड़छाड़ मुक्त टेक्नोलॉजी माना जाता है. इस टेक्नोलॉजी के जानकारों को बैंकिंग-पेमेंट्स, साइबर सिक्योरिटी, सप्लाइ चेन मैनेजमेंट, नेटवर्किंग और इंटरनेट ऑफ थिंग्स, इंश्योरेंस, प्राइवेट ट्रांसपोर्ट और राइड शेयरिंग, क्लाउड स्टोरेज, वोटिंग यानी मतदान, गवर्नमेंट डिपार्टमेंट, हेल्थकेयर, एनर्जी मैनेजमेंट, ऑनलाइन म्यूजिक, रिटेल, रियल एस्टेट, क्राउडफंडिंग आदि में काम करने के अच्छे अवसर मिल सकते हैं. भारत में ब्लॉकचेक डेवलपर के रूप में आप शुरुआती दौर में 10 से 12 लाख रुपये प्रति वर्ष एवं कुछ वर्षों के अनुभव के बाद 20 से 25 लाख रुपये प्रति वर्ष कमा सकते हैं.

योग्यता : कंप्यूटर साइंस या इससे संबंधित विषय में स्नातक डिग्री प्राप्त कर आप ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी को करियर ऑप्शन के रूप में चुन सकते हैं.

कहां से करें कोर्स : करियर की अच्छी संभावनाओं को देखते हुए भारत के कई आइआइटी संस्थान इंजीनियरिंग प्रोग्राम के अंतर्गत इस विषय की पढ़ाई करा रहे हैं. कुछ प्राइवेट संस्थान जैसे-आइबीएम, टैलेंट स्प्रिंट भी यह कोर्स ऑफर कर रहे हैं. आप चाहें तो कोर्सेरा और उडेमी जैसे पोर्टल्स से ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का ऑनलाइन कोर्स कर सकते हैं.

एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग : एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग में कृषि को बढ़ावा देनेवाले प्रयासों जैसे फसल की अच्छी पैदावार के लिए उपयुक्त मिट्टी, खाद्य पदार्थ, बीज, बायोलॉजिकल सिस्टम आदि से संबंधित बारीकियां सिखायी जाती हैं. साथ ही फूड प्रोसेसिंग प्लांट्स और फूड स्टोरेज स्ट्रक्चर्स को डिजाइन करने का काम भी किया जाता है.

मौजूदा दौर में सरकारी से लेकर प्राइवेट सेक्टर तक में कृषि विशेषज्ञों की मांग रहती है. ऐसे में यदि आप एग्रीकल्चर इंडस्ट्री में करियर बनाने की ख्वाहिश रखते हैं, तो एग्रीकल्चर इंजीनियर के रूप में इस क्षेत्र में प्रवेश कर सकते हैं. इस क्षेत्र में प्रवेश करनेवाले युवा एग्रीकल्चर को-ऑपरेटिव्स, मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स, फर्टिलाइजर और इरिगेशन कंपनी, फार्मिंग कंपनी, ऑर्गनाइजेशन, एनजीओ आदि में रोजगार के अवसर तलाश सकते हैं.

योग्यता : पीसीएम या पीसीबी विषयों के साथ 12वीं पास करनेवाले छात्र एग्रीकल्चर के चार वर्षीय बीइ/बीटेक कोर्स में प्रवेश ले सकते हैं. इसके बाद पोस्टग्रेजुएशन यानी एमइ/एमटेक किया जा सकता है, जिसकी अवधि दो वर्ष होती है.

कहां से करें काेर्स : इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट, नयी दिल्ली. हिसार एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, हिसार (हरियाणा). जेबी पंत यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी, पंतनगर. पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, लुधियाना, पंजाब. इलाहाबाद एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट, इलाहाबाद.

फूड साइंस: अच्छे खानपान का शौक रखने के साथ फूड प्रोडक्ट्स में इस्तेमाल किये जानेवाले रसायनों, खाद्य पदार्थों के रख-रखाव, उन्हें पैक करने के तरीकों एवं मार्केटिंग से संबंधित बातों में रुचि रखनेवाले युवाओं के लिए फूड साइंस एवं टेक्नोलॉजी एक बेहतरीन करियर ऑप्शन बन कर उभरा है. एक फूड टेक्नोलॉजिस्ट के रूप में आप फूड प्रोसेसिंग कंपनियों, फूड रिसर्च लेबोरेटरी, होटल, रेस्टोरेंटों, एजुकेशनल इंस्टीट्यूट में करियर की संभावनाएं तलाश सकते हैं.

योग्यता : इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी, मैथ्स या होम साइंस के साथ 12वीं पास होना अनिवार्य है. इसके बाद आप फूड साइंस, केमिस्ट्री या माइक्रोबायोलॉजी में बैचलर डिग्री कर सकते हैं. बैचलर डिग्री करने के बाद फूड केमिस्ट्री, मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस और अन्य क्षेत्रों में एडवांस डिग्री भी कर सकते हैं. आप चाहें तो डायटेटिक्स एंड न्यूट्रिशन या फूड साइंस एंड पब्लिक हेल्थ न्यूट्रिशन में डिप्लोमा कर सकते हैं. स्नातक के बाद परास्नातक व रिसर्च करने का विकल्प भी है.

कहां से करें कोर्स : सेंट्रल फूड टेक्नोलॉजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ क्रॉप प्रोसेसिंग टेक्नोलॉजी. नेशनल एग्री फूड बायो टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट. राजस्थान टेक्निकल यूनिवर्सिटी, कोटा. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन. नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट. अन्ना यूनिवर्सिटी, चेन्नई.

Posted by: Pritish Sahay

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