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निर्मला सीतारमण ने कहा, आर्थिक सुधारों की रफ्तार से दुनिया भर में निवेश का हॉटस्पॉट बनेगा भारत

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि भारत दुनिया में निवेश का एक प्रमुख केंद्र या हॉटस्पॉट बन सकता है. उन्होंने भविष्य में कुछ और बड़े सुधारों का भी संकेत दिया. सीतारमण ने स्पष्ट किया कि सुधारों की रफ्तार को कायम रखा जाएगा. उन्होंने कहा कि बड़े स्तर पर कुछ और सुधारों के लिए कदम उठाए जा रहे हैं.

नयी दिल्ली : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि भारत दुनिया में निवेश का एक प्रमुख केंद्र या हॉटस्पॉट बन सकता है. उन्होंने सोमवार को भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा आयोजित एक वर्चुअल कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार भारत को निवेश का केंद्र बनाने की दिशा में कदम उठा रही है. सुधारों का जिक्र करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि इन्हें जारी रखा जाएगा. उन्होंने भविष्य में कुछ और बड़े सुधारों का भी संकेत दिया. सीतारमण ने स्पष्ट किया कि सुधारों की रफ्तार को कायम रखा जाएगा. उन्होंने कहा कि बड़े स्तर पर कुछ और सुधारों के लिए कदम उठाए जा रहे हैं.

चालू खाते में सरप्लस दर्ज करेगा भारत

वहीं, सीआईआई के इसी कार्यक्रम में मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) केवी सुब्रमणियम ने कहा है कि चालू वित्त वर्ष में भारत चालू खाते का अधिशेष (सीएपी) दर्ज कर सकता है. उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी की वजह से अर्थव्यवस्था में उत्पादन अधिक है, जबकि मांग कम है यानी ‘अंडर हीटिंग’ की स्थिति है, जिसके चलते आयात घटेगा. इससे देश चालू खाते का अधिशेष हासिल कर सकता है.

टैपर टैंट्रम से अलग है मौजूदा संकट

मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि मौजूदा संकट ‘टैपर टैंट्रम’ से भिन्न प्रकार का है. ‘टैपर टैंट्रम’ का मतलब यह कि वर्ष 2013 में निवेशकों के उस घबराहट वाले रुख से है, जिससे अमेरिका में ट्रेजरी प्राप्ति में जबरदस्त इजाफा हुआ. निवेशकों को जब यह पता चलता कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व अपने उदार मौद्रिक नीति (क्यूई) कार्यक्रम पर रोक लगाने जा रहा है, तो उनकी सामूहिक प्रतिक्रिया काफी घबराहटपूर्ण रही, जिससे अमेरिका में ट्रेजरी प्राप्ति में जबरदस्त इजाफा हुआ. इससे उभरती अर्थव्यवस्थाओं में मुद्रास्फीति में तेजी आयी और यह दहाई अंक में पहुंच गई.

भारत ने पहचाना कोविड संकट की प्रकृति

सुब्रमणियम ने कहा कि मौजूदा कोविड संकट कुछ अलग किस्म का है। भारत ने इस संकट की प्रकृति को पहचाना है और इससे पूर्व के आर्थिक संकटों की तुलना में अलग तरीके से निपटने का प्रयास किया है. मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि कोविड संकट, मांग का संकट है. यह मुख्य रूप से मांग के लिए नकारात्मक झटका है. भारत इस संकट से बेहतर तरीके से निपटा है.

पहली तिमाही में 20 अरब डॉलर के आसपास रहा चालू खाते का सरप्लस

उन्होंने कहा, ‘तथ्य यही है कि इस साल हम चालू खाते का अधिशेष दर्ज कर सकते हैं. पहली तिमाही में हमारा चालू खाते का अधिशेष 20 अरब डॉलर के आसपास रहा. स्पष्ट तौर पर यह 19.8 अरब डॉलर रहा है. यदि आगामी तिमाहियों में हमें इस तरह का प्रदर्शन देखने को नहीं मिलता है, तो भी हम चालू खाते का अधिशेष दर्ज कर सकते हैं.

दीर्घावधि में प्रभावित नहीं होगी आर्थिक वृद्धि

सुब्रमणियम ने कहा कि लॉकडाउन आदि की वजह से कुछ समय के लिए वृद्धि प्रभावित हुई है. इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि सरकार के प्रयासों की वजह से मध्यम से दीर्घावधि की वृद्धि प्रभावित नहीं होगी. उन्होंने कहा कि सामान्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं का संकट मांग के अनुरूप उत्पादन नहीं होने की वजह से पैदा हुआ है, जबकि कोविड संकट उत्पादन अधिक तथा मांग कम होने का संकट है.

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कोविड-19 ओवरहीटिंग नहीं अंडरहीटिंग का है संकट

कोविड-19 ‘ओवरहीटिंग’ नहीं ‘अंडरहीटिंग’ का संकट है, जिसकी वजह से सुधारों की जरूरत महसूस हुई है. वास्तव में, भारतीय अर्थव्यवस्था की मध्यम से दीर्घावधि की वृद्धि के लिए इनकी काफी आवश्यकता है, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित होने से बचाया जा सके और अर्थव्यवस्था की संभावित वृद्धि की क्षमता को ऊंचा रखा जा सके.

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आईबीसी से अर्थव्यवस्था को संगठित करने में मिलेगी मदद

सुधारों की बात करते हुए सुब्रमण्यन ने दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि इससे अर्थव्यवस्था को संगठित रूप देते में मदद मिलेगी. इसके साथ ही, उन्होंने लंबे समय से अटके कृषि और श्रम सुधारों का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि यदि आप कृषि सुधारों, एमएसएमई की परिभाषा में बदलाव, उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना और श्रम सुधारों को देखें, तो ये सभी अर्थव्यवस्था का वृहद रुख उन क्षेत्रों की ओर करते हैं, जो रोजगार देते हैं. विशेषरूप से प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्र.

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Posted By : Vishwat Sen

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