मुंबई : नोटबंदी के फायदे गिनाकर भले ही केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार अपनी ही पीठ थपथपा ले, लेकिन वास्तविकता यह है कि प्रधानमंत्री मोदी की ओर से 8 नवंबर, 2016 के बाद लागू की गयी नोटबंदी के बाद बंद हुए नोटों के बदले में अभी 45 फीसदी भी नये नोट प्रचलन में नहीं आये हैं. हालांकि, रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने गुरुवार को उर्जित पटेल ने अपनी सफाई देते हुए संसदीय समिति के सामने यह बताया कि करीब 9.2 लाख करोड़ रुपये तक के नये नोट रिजर्व बैंक की ओर से जारी किये जा चुके हैं. इसका अर्थ हुआ कि कुल 15.44 लाख करोड़ रुपये के पुराने नोटों को बंद किये जाने के बाद 60 फीसदी नये नोट रिजर्व बैंक की ओर से जारी किये गये हैं.
हालांकि, रिजर्व बैंक की ओर से 13 जनवरी को जारी किये गये आंकड़ों के अनुसार, कुल 9.5 लाख करोड़ रुपये की राशि सर्कुलेशन में है. इस आंकड़े में नोटबंदी से पहले छोटे नोट के रूप में मौजूद 2.53 लाख करोड़ रुपये की रकम भी शामिल है. यदि इस राशि को 9.55 लाख करोड़ रुपये में से घटा दिया जाये, तो पता चलता है कि करीब 6.97 लाख करोड़ रुपये के नये नोट ही सर्कुलेशन में हैं. यह प्रचलन से हटाये गये 500 और 2000 रुपये के पुराने नोटों का करीब 45 फीसदी ही है.
रिजर्व बैंक के सूत्रों ने कहा कि आंकड़ों में इस उलटफेर की वजह यह है कि रिजर्व बैंक ने 13 जनवरी को प्रचलन के नोटों की जानकारी दी है. इसका अर्थ यह है कि प्रचलन से बंद किये गये नोटों का महज 45.3 फीसदी हिस्सा ही लौटा है. इसमें भी 5 लाख करोड़ रुपये 2,000 के नोटों के हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि यदि अमान्य नोटों के बदले 7 लाख करोड़ के नोट ही जारी किये गये हैं, तो इसका अर्थ यह है कि रिजर्व बैंक ने छोटे नोटों की छपाई पर अपना ध्यान केंद्रित किया है.
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